यूरोप में समाजशास्त्र के प्रारंभ और विकास का अध्ययन हमारे लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसका प्रमुख कारण यह है कि समाजशास्त्र के अधिकांश मुद्दे उस समय की बात करते हैं जब 18वीं एवं 19वीं शताब्दी की यूरोपीय समाज में औद्योगीकरण एवं पूंजीवाद के आगमन से क्रांतिकारी परिवर्तन होने प्रारंभ हुए। शहरीकरण की प्रक्रिया, कारखानों के उत्पादन इत्यादि मुद्दे न केवल यूरोप अपितु सभी आधुनिक समाजों के लिए प्रासंगिक थे। औद्योगिक क्रांति के अतिरिक्त फ्रांसीसी क्रांति तथा । ज्ञानोदय जैसे मुद्दे भी यूरोप से ही जुड़े हुए हैं। इन सबका पूरे विश्व पर गहरा प्रभाव पड़ा है। भारतीय समाज का अतीत अंग्रेजी पूँजीवादी एवं उपनिवेशवाद के इतिहास में घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। इसलिए भारत जैसे देश में समाजशास्त्र को समझने हेतु यूरोप में समाजशास्त्र के प्रांरभ और विकास को पढ़ना आवश्यक है।