समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र का परस्पर घनिष्ठ संबंध है। अर्थशास्त्र भी एक सामाजिक विज्ञान है, क्योंकि उसमें मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन एवं वितरण का अध्ययन करता है तथा इसका मुख्य विषय आर्थिक क्रियाएँ हैं। इसमें मुख्य रूप से इस बात पर विचार किया जाता है कि उत्पादन के साधनों का अर्जन किस प्रकार किया जा सकता है और उससे संबंधित विभिन्न नियम क्या-क्या हैं परंतु उत्पादन के साधनों का संबंध मनुष्य से होता है और मनुष्य समाज का क्रियाशील सदस्य है। समाजशास्त्र के माध्यम से सामाजिक संबंधों को समझने का प्रयास किया जाता है और अर्थशास्त्र द्वारा समाज और व्यक्ति की आर्थिक गतिविधियों को समझने का प्रयास किया जाता है। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र संबंधों का अध्ययन करता है और समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों का, परंतु आर्थिक संबंध सामाजिक संबंध पर आश्रित होते हैं। वास्तव में आर्थिक संबंध सामाजिक संबंधों के गुच्छे की एक कड़ी-मात्र हैं। इस प्रकार, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र दोनों एक-दूसरे के अत्यधिक निकट हो जाते हैं, दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।