समाज में सभी व्यक्ति एक समान सोच नहीं रखते, उनके दृष्टिकोणों एवं धारणाओं में काफी अंतर पाया जाता हैं। एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों एवं धारणाओं के बारे में चर्चा के परिणामस्वरूप बनी सहमति अनिवार्य होती है। विकास के लिए लोकतंत्र की भूमिका एक ऐसी ही धारणा है जिसके बारे में मतभेद पाए जाते हैं। अधिकांश विद्वानों का कहना है कि लोकतंत्र विकास का एक सर्वश्रेष्ठ अभिकरण है क्योंकि इसमें व्यक्ति को आगे बढ़ने के समान अवसर उपलब्ध होते हैं तथा किसी भी नागरिक के साथ जाति, प्रजाति, धर्म, लिंग इत्यादि जन्मजात गुणों के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। इसी कारण से अमेरिका एवं पश्चिमी देशों में विकास अधिक हुआ है। प्रजातांत्रिक मूल्यों ने इन देशों के विकास में सहायता दी है। दूसरी ओर, ऐसे विद्वान भी हैं जो प्रजातंत्र को विकास में बाधक मानते हैं। उनका तर्क है कि प्रजातांत्रिक देशों में नौकरशाही भ्रष्ट हो जाती है, सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार व्याप्त हो जाता है तथा विकास का लाभ पहले से ही धनी वर्गों को मिलता है। इसलिए अमीर तथा गरीब में अंतराल कम होने की बजाय बढ़ता जाता है। जिन देशों ने लोकतंत्र के स्थान पर शासन की किसी अन्य व्यवस्था को विकास हेतु अपनाया है, वहाँ पर विकास की गति धीमी रही है। इससे लोकतंत्र के विकास में बाधक होने का तर्क कमजोर दिखाई देता है।