आयु के आधार पर निर्मित समूह को सामाजिक समूह नहीं कहा जाता है। यह भी अर्द्ध-समूह का उदाहरण है। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी माँग को लेकर किशोर आयु समूह संगठित हो जाए। यदि शिक्षा संस्थाओं में किसी माँग को लेकर अथवा समाज में किसी महत्त्वपूर्ण भूमिका को लेकर इस प्रकार का समूह अपने सदस्यों में आपसी पहचान एवं अपनत्व की भावना का विकास कर लेता है, सदस्यों में दीर्घ एवं स्थायी अंत:क्रिया प्रांरभ हो जाती है तथा उनमें अंत:क्रिया के प्रतिमान स्थिर होने लगते हैं तो आयु के आधार पर बना किशोर समूह एक सामाजिक समूह का रूप धारण करे लेता है।