प्रत्येक व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से प्रभावित होता है तथा उनको प्रभावित भी करता है। मित्रों एवं आयु समूहों का प्रभाव एक-दूसरे पर अधिक होता है। जो व्यक्ति प्रभुत्वशाली व्यक्तित्व वाले होते हैं। अथवा नेतृत्व के गुण रखते हैं वे अन्य लोगों को अधिक प्रभावित करते हैं। एक कक्षा में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएँ एक-दूसरे को निश्चित रूप से प्रभावित करते हैं तथा उनमें होने वाली अंत:क्रियाओं से। ही उनके व्यक्तित्व का विकास होता है। यह संभव ही नहीं है कि कोई छात्र-छात्रा अपने मित्रों या सहपाठियों से प्रभावित ही न हो। छोटे बच्चों को भी माता-पिता से अपनी कक्षा के अन्य बच्चों के बारे में बातचीत करते हुए अक्सर देखा जा सकता है। कक्षा में प्रत्येक छात्र-छात्रा कुछ अन्य छात्र-छात्राओं से अधिक नजदीक हो जाता है तथा एक ऐसा अनौपचारिक समूह बना लेता है जिसके सदस्य एक-दूसरे से काफी कुछ सीखते हैं। कई बार तो आयु समूह का प्रभाव परिवार के सदस्यों के प्रभाव से भी अधिक होता है। इसलिए यह कहा जाता है कि कोई किशोर यदि गलत संगति में पड़ जाता है तो वह भी अंतत: गलत कार्य करने लगता है और उसके परिजन चाहते हुए भी उसे सही रास्ते पर लाने में सफल नहीं हो पाते।