अशासकीय सामाजिक-नियंत्रण के अनगिनत उदाहरण हम अपने जीवन में देख सकते हैं। उदाहरणार्थ-यदि आपने अपनी कक्षा के किसी छात्र-छात्रा को अन्य छात्र-छात्राओं से भिन्न व्यवहार करते हुए तथा अन्य छात्र-छात्राओं द्वारा उसका मजाक उड़ाते देखा है तो आप इस प्रकार के नियंत्रण को सरलता से समझ सकते हैं। हो सकता है कि मजाक ही उसे संबंधित छात्र-छात्रा को अन्य। छात्र-छात्राओं की अपेक्षाओं के अनुकूल व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर दे। मजाक में कई बार दंड से भी ज्यादा शक्ति होती है तथा व्यक्ति इससे बचने के लिए अपनी प्रस्थिति के अनुकूल भूमिका का निष्पादन करने का भरसक प्रयास करता है। इसी भाँति, बच्चों के किसी गलत व्यवहार पर नियंत्रण हेतु माता-पिता द्वारा की गई डाँट-डपट भी अशासकीय नियंत्रण का ही उदाहरण है। हो सकता है यह डाँट-डपट उसे गलत कार्य करने से रोकने में सहायक हो।