प्राथमिक सूमहों के दो प्रमुख कार्य निम्नवत् हैं-
⦁ व्यक्तित्व के विकास में सहायक प्राथमिक समूह में व्यक्ति का विकास होता है। मानव की अधिकांश सीख प्राथमिक समूहों की ही देन है। यह सदस्यों के लिए व्यक्तित्व के विकास का प्रमुख अभिकरण है। उदाहरणार्थ-परिवार, पड़ोस तथा क्रीड़ा समूह तीनों प्राथमिक समूह के रूप में व्यक्तित्व विकास में सहायक हैं।
⦁ समाजीकरण में सहायक प्राथमिक समूह व्यक्ति को समाज में रहने के योग्य बनाते हैं। इन समूहों में रहकर व्यक्ति समाज में प्रचलित रीति-रिवाजों का पालन करता है और उन सबका ज्ञान भी प्राप्त कर लेता है। एच० ई० बार्ल्स का कथन है कि प्राथमिक समूह स्वाभाविक रूप से व्यक्ति के समाजीकरण में सहायता प्रदान करते हैं तथा स्थापित संस्थाओं के एकीकरण व सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण होते हैं।