प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रस्थिति का ध्यान रखकर समाज में कुछ-न-कुछ कार्य अवश्य करता है। इसी को भूमिका कहते हैं। भूमिका के आधार पर व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। इस प्रकार, भूमिका प्रस्थिति का गत्यात्मक पक्ष है तथा प्रस्थिति के अनुसार व्यक्ति से जिस प्रकार के कार्य की आशा की जाती है, उसी को उसकी भूमिका कहा जाता है। यंग के अनुसार, “व्यक्ति जो करता है। या करवाता है उसे हम उसके कार्य कहते हैं।”