समाज में व्यक्ति का उसके समूह में जो स्थान होता है उसे व्यक्ति की प्रस्थिति कहते हैं। किसी कार्यालय में अधिकारी का ऊँचा स्थान होता है तो उस कार्यालय में उस अधिकारी की प्रस्थिति ऊँची मानी जाती है क्योंकि वह कार्यालय में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। इसलिए प्रस्थिति का अर्थ उस महत्त्वपूर्ण स्थान से है जो व्यक्ति अपने समूह या कार्यालय में या अन्य सार्वजनिक उत्सवों में अपनी योग्यता व कार्यों के द्वारा अथवा जन्म से प्राप्त कुछ लक्षणों द्वारा प्राप्त करता है। लिंटन के अनुसार, विशेष व्यवस्था में स्थान, जिसे व्यक्ति किसी दिए हुए समय में प्राप्त करता है, उस व्यवस्था के अनुसार उसकी प्रस्थिति की ओर संकेत करता है।”