प्रसिद्ध फ्रांसीसी समाजशास्त्री दुर्णीम ने अपने सिद्धांत में सामूहिक प्रतिनिधित्वों या प्रतिनिधानों को सामाजिक नियंत्रण के लिए उत्तरदायी बताया है। इसका अर्थ समूह के वे आदर्श हैं, जो अधिकतर जनता द्वारा स्वीकार किए जाते हैं। दुर्णीम के अनुसार सामूहिक प्रतिनिधानों को प्रभावशाली बनाने से समूह कल्याण की भावना को प्रोत्साहन मिलता है। दुर्णीम का कहना है कि एक समाज के लिए विभिन्न समूहों के क्रियाशील बने रहने और कर्तव्यनिष्ठ रहने से ही सामाजिक नियंत्रण का कार्य संभव हो सकता है। सामाजिक नियंत्रण रहने से समाज की सुव्यवस्था और सुख-शान्ति पूर्ण रूप से बनी रहती है। सामूहिक प्रतिनिधानों के पीछे भी समाज की शक्ति होती है जिसके कारण व्यक्ति इनकी सरलता से अवहेलना नहीं करता।