सामाजिक सर्वेक्षण अब तक ज्ञात सबसे अच्छी समाजशास्त्रीय पद्धति मानी जाती है। सर्वेक्षण आधुनिक सार्वजनिक जीवन का एक सामान्य हिस्सा बन गया है। सर्वेक्षण में संपूर्ण तथ्यों का पता लगाने का प्रयास किया जाता है। यह किसी विषय पर सावधानीपूर्वक चयन किए गए लोगों के प्रतिनिधि समग्र से प्राप्त सूचना का व्यापक दृष्टिकोण होता है। इसमें उत्तरदाता अनुसंधानकर्ता के समूह द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देते हैं। उत्तरदाताओं का चयन निदर्शन (प्रतिदर्श) द्वारा किया जाता है तथा इसीलिए इसे कई बार ‘प्रतिदर्श सर्वेक्षण’ भी कहा जाता है। प्रतिदर्श सर्वेक्षण पद्धति के प्रमुख लाभ निम्न प्रकार हैं-
⦁ परिमाणात्मक सूचनाएँ-सामाजिक सर्वेक्षण विस्तृत सामग्री के संबंध में परिमाणात्मक सूचनाएँ प्रदान करने का मुख्य स्रोत है जिसमें सांख्यिकीय प्रविधियों को भी विस्तार से लागू किया जा सकता है।
⦁ गुणात्मक सूचनाएँ-सामाजिक सर्वेक्षण परिमाणात्मक सूचनाओं के साथ-साथ गुणात्मक सूचनाओं के संकलन का भी एक अति उपयोगी साधन है।
⦁ वैज्ञानिक परिशुद्धता-सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त परिणाम एवं निष्कर्ष सूक्ष्म, उपयुक्त और विश्वसनीय होते हैं क्योंकि इसमें वैज्ञानिकता का गुण पाया जाता है अर्थात् संपूर्ण सर्वेक्षण वैज्ञानिक पद्धति द्वारा किया जाता है।
⦁ वस्तुनिष्ठता-सामाजिक सर्वेक्षण में क्योंकि सामान्यत: अनेक सर्वेक्षणकर्ता कार्यरत होते हैं। अतः अध्ययन को उनके व्यक्तिगत विचारों एवं मनोभावनाओं द्वारा प्रभावित होने या किसी प्रकार का पक्षपात होने की संभावना बहुत कम होती है। वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करने तथा विषय-वस्तु से प्रत्यक्ष एवं निकट का संपर्क होने के कारण सर्वेक्षण द्वारा एकत्रित सूचनाएँ अधिक वस्तुनिष्ठ होती हैं।
⦁ उपकल्पना का निर्माण एवं परीक्षण सामाजिक सर्वेक्षण उपकल्पना या प्रकल्पना के निर्माण में सहायता देते हैं तथा इतना ही नहीं अपितु इनसे संबंधित आँकड़े एकत्रित करके उनकी प्रामाणिकता की जाँच करने में भी सहायक होते हैं।