सर्वेक्षण पद्धति की निम्नलिखित प्रमुख कमजोरियाँ हैं-
⦁ अमूर्त घटनाओं का अध्ययन असंभव-सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा केवल अवलोकनीय घटनाओं को ही अध्ययन संभव हो पाता है; हम इससे अमूर्त घटनाओं या किसी प्रकार की आंतरिक सूचना प्राप्त नहीं कर सकते हैं। विचारों, विश्वासों एवं व्यवहारों की जटिलता को समझने में अनेक विद्वानों ने सामाजिक सर्वेक्षणों को अनुपयुक्त बताया है।
⦁ अत्यधिक समय एवं धन-सामाजिक सर्वेक्षण हेतु अत्यधिक समय एवं धन की आवश्यकता होती है। विविध प्रकार के साधनों (जैसे–अनुसूचियों, प्रश्नावलियों, साक्षात्कार, सांख्यिकीय विश्लेषण आदि) के प्रयोग के कारण सामाजिक सर्वेक्षण में पैसा ही अधिक खर्च नहीं होता अपितु अनेक सर्वेक्षण कई-कई साल तक चलते रहते हैं।
⦁ निदर्शन त्रुटि–सामान्यतः निदर्शन सर्वेक्षणों में निदर्शन त्रुटि की संभावना अधिक होती है। क्योंकि बड़े एवं व्यापक स्तर पर होने वाले सर्वेक्षणों में निदर्शन की विश्वसनीयता की जाँच कराना एक कठिन कार्य होता है।
⦁ अवास्तविक सूचनाएँ-सामाजिक सर्वेक्षण के अंतर्गत यह संभावना अधिक रहती है कि उत्तरदाता अपनी वास्तविक स्थिति से हटकर समाज द्वारा स्वीकृत मूल्यों एवं मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए यथार्थ सूचनाएँ न देकर गलत सूचनाएँ दे। सर्वेक्षण में व्यक्तिगत भिन्नता के कारण भी निष्कर्षों में पक्षपात हो सकता है।
⦁ अध्ययन का सीमित क्षेत्र–सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा किए जाने वाले अध्ययनों का क्षेत्र सीमित होता है, जिससे कई बार सामान्यीकरण करना तक कठिन हो जाता है। किसी एक सर्वेक्षण द्वारा हम किसी समस्या या समूह के एक ही पहलू या भाग का अध्ययन कर सकते हैं।
⦁ पर्याप्त ज्ञान एवं प्रशिक्षण सामाजिक सर्वेक्षण के संचालन के लिए पर्याप्त ज्ञान एवं विशेषीकरण की आवश्यकता होती है। यदि बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण किया जा रहा है तो उनके (सर्वेक्षकों के) प्रशिक्षण की समस्या आ सकती है क्योंकि प्रशिक्षित सर्वेक्षक बहुत कम मिलते हैं।
⦁ सूचनाएँ सँभालने की समस्या सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा काफी मात्रा में सूचनाओं या आँकड़ों का संकलन किया जाता है परंतु संकलन करने के पश्चात् इन्हें सँभालना तथा इनका समुचित प्रयोग करना एक कठिन कार्य हो जाता है। यदि सूचनाएँ गुणात्मक प्रकृति की हैं तो यह कार्य और भी कठिन हो जाता है।
⦁ सूचनाएँ प्राप्त करने में कठिनाई-सामाजिक सर्वेक्षण में सूचनाएँ एकत्रित करना भी एक कठिन कार्य है। यदि अनुसंधान उपकरण जैसे कि अनुसूची अधिक विस्तृत एवं लंी है तो सूचनादाता उत्तर देते-देते उकता जाते हैं और बिना सोचे-समझे उत्तर देने लगते हैं। साथ ही, युवा अविवाहित लड़कियों तथा नवविवाहित स्त्रियों तक पहुँच पाना और उनसे सूचनाएँ एकत्रित कर पाना भी एक कठिन कार्य है।