समाजशास्त्र में वस्तुनिष्ठता बनाए रखने के लिए जिन पद्धतियों को अपनाया जाता है उनमें से एक अपने आप को दूसरों की नजरों से देखना है। यह एक प्रकार से अन्य लोगों (जैसे अपने श्रेष्ठ मित्रों, अपने विरोधियों, अपने शिक्षकों आदि) के दृष्टिकोण से अपने आपको देखना है। प्रत्येक छात्र इस पद्धति द्वारा अपना स्वमूल्यांकन कर सकता है अर्थात् यह जान सकता है कि दूसरे उसके बारे में क्या सोचते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि यदि हमें इस बात का आभास हो जाए कि दूसरे हमारे बारे में कोई अच्छी छवि नहीं रखते तो हम अपने आचरण में सुधार लाने का भी प्रयास करते हैं।