क्षेत्रीय कार्य से अभिप्राय अध्ययन के क्षेत्र में जाकर अनुसंधान संबंधी आँकड़े संकलन करने से है। यह पद्धति सहभागी अवलोकन के रूप में भी हो सकती है अथवा असहभागी अवलोकन के रूप में भी। जेम्स फ्रेजर, इमाईल दुर्णीम तथा मेनिस्लाव मैलिनोव्स्की द्वारा किए गए क्षेत्रीय अध्ययन में सबसे प्रमुख समानता यह रही है कि ऐसे सभी अध्ययन आदिम या जनजातियों से संबंधित हैं। इन अध्ययनों में सहभागी अवलोकन पद्धति का प्रयोग किया गया है। सहभागी अवलोकन पद्धति में जब कोई मानवविज्ञानी जनजातीय संस्कृति में रहता है तो उसे अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उसे भाषा समझने, खान-पान तथा जनजातीय लोगों का विश्वास जीतने जैसी अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता है। जनजातीय लोग बाहरी लोगों को शक की निगाहों से देखते हैं तथा सरलता से उन पर विश्वास नहीं करते हैं। इसलिए मानवविज्ञानी को पहले कुछ महीने बिना किसी प्रकार का अध्ययन किए इन लोगों का विश्वास प्राप्त करना होता है। कई बार ऐसा करने के लिए मानवविज्ञानी अपने आपको पर्यावरणवादी या संगीतकार या समाज-सुधारक के रूप में भी प्रस्तुत कर सकता है।