चुनाव के समय अनेक टेलीविजन चैनलों एवं अनुसंधान संस्थानों द्वारा अलग-अलग अथवा संयुक्त रूप से चुनाव सर्वेक्षण करवाए जाते हैं। यह सर्वेक्षण किसी अन्य समस्या (जैसे भारत में बढ़ती हुई हिंसा, भ्रष्टाचार, महँगाई इत्यादि) को लेकर समाचार-पत्रों या टेलीविजन माध्यमों द्वारा किए गए अन्य लघु सर्वेक्षण भी हो सकते हैं। अभी उत्तराखंड तथा पंजाब विधानसभाओं के लिए चुनाव से संबंधित जो चुनाव सर्वेक्षण किए गए थे उनमें कांग्रेस की पराजय का अनुमान सामने उभरकर आया था। जब मतों की गिनती द्वारा नतीजों की घोषणा की गई तो यह अनुमान काफी सीमा तक सही पाया गया। यदि सर्वेक्षण में सम्मिलित सूचनादाताओं का चयन प्रतिनिधित्व प्रतिदर्श द्वारा किया गया है तो अनुमान सही होने की काफी संभावना बनी रहती है। जब इन चुनाव सर्वेक्षण के परिणाम घोषित किए गए तो इनमें रही सीमांत त्रुटि के बारे में भी विश्लेषकों ने विस्तार से बताया था। चूंकि कुछ सर्वेक्षणों में सम्मिलित सूचनादाताओं का आकार समग्र की दृष्टि से अत्यंत छोटा होता है तथा चयन की पद्धति भी संभावित प्रतिदर्श जैसी नहीं होती, इसलिए इन सर्वेक्षणों के परिणाम त्रुटिपूर्ण भी हो सकते हैं।