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अवलोकन कार्य के मार्ग में आने वाली बाधाओं का उल्लेख कीजिए और उनको दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए।

या

अवलोकन को वैज्ञानिक बनाने हेतु सुझाव दीजिए।

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अवलोकन प्रविधि सामाजिक अनुसंधान में प्रयोग की जाने वाली सर्वाधिक प्रचलित प्रविधि है, परंतु यह जितनी सरल लगती है, वास्तव में इसके द्वारा ऑकड़े एकत्रित करना उतना ही कठिन कार्य है। अवलोकन अनेक रूपों में प्रभावित होता है, जिन्हें हम इसके मार्ग में आने वाली बाधाएँ कह सकते हैं।

अवलोकन के मार्ग की प्रमुख बाधाएँ अवलोकन के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएँ इस प्रकार हैं-
1. नेत्रों के कार्य में पक्षपात–अवलोकन का कार्य करने में हमारी ज्ञानेंद्रियाँ महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं। इन ज्ञानेंद्रियों में सर्वप्रथम स्थान नेत्रों का है। नेत्रों के द्वारा ही हम अपना निरीक्षण कार्य करते हैं, किंतु कई परीक्षणों से यह सिद्ध हो चुका है कि नेत्रों द्वारा देखा गया दृश्य भी कभी-कभी विश्वसनीय नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, हमारे नेत्रों की अवलोकन शक्ति भी अचूक नहीं होती है। हम कभी-कभी अत्यंत पक्षपातपूर्ण ढंग से या अपने मूल्यों वे शंकाओं के अनुरूप किसी वस्तु का निरीक्षण करते हैं; अतः हम अपने अवलोकन के कार्य में सफल नहीं होते। इसीलिए कहा गया है कि हम अपनी ज्ञानेंद्रियों के पक्षपातपूर्ण कार्यों के कारण भी अवलोकन को विश्वसनीय नहीं कह सकते।
2. व्यवहार की अनिश्चितता–अवलोकन के कार्य में एक मुख्य बाधा अवलोकन किए जाने वाले समूह के व्यक्तियों के व्यवहार की अनिश्चितता भी है। व्यक्ति अपने व्यवहार में वास्तविक नहीं होते। जब किसी समूह के व्यक्तियों को यह पता चलता है कि उनके व्यवहार का अवलोकन किया रहा है तो उनके व्यवहार में कृत्रिमता आ जाती है और इस व्यवहार की कृत्रिमता के कारण उनके द्वारा किए गए क्रिया-कलापों का अवलोकन विश्वसनीय नहीं होता। ऐसी दशा में सदस्यों के व्यवहार की कृत्रिमता अवलोकन के कार्य में बाधा पहुँचाती है।
3. पूर्वज्ञान का महत्त्व–अनुसंधानकर्ता पूर्वज्ञान के आधार पर भी बहुत-सी वस्तुओं के संबंध में अनुमान कर लेता है। इसलिए वह केवल अवलोकन पर ही आश्रित नहीं रहता। उसका पूर्वज्ञान कभी-कभी अध्ययन-वस्तु के संबंध में उसे धोखा भी दे सकता है या अपने पूर्वज्ञान के आधार पर वह वस्तु के संबंध में अपनी कल्पनाएँ बना लेता है और अवलोकन की उपेक्षा करके वस्तु के संबंध में कल्पनाओं के आधार पर प्राप्त ज्ञान को ही सत्य मान लेता है। इस प्रकार पूर्वज्ञान भी अवलोकन के मार्ग में बाधा उपस्थित करता है।
4. अनुसंधानकर्ता का स्वार्थ-अवलोकन के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा अनुसंधानकर्ता का व्यक्तिगत पक्षपात है। अनुसंधानकर्ता अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण से किसी विषय-वस्तु का अध्ययन करता है। सभी समस्याओं का अध्ययन अनुसंधानकर्ता अपने-अपने दृष्टिकोण से भिन्न-भिन्न रूप में करते हैं। इसके अतिरिक्त अनुसंधानकर्ता जिन समस्याओं का अध्ययन करना चाहता है, वह स्वयं भी उन्हीं घटनाओं से अथवा व्यक्तिगत पक्षपात से प्रभावित रहता है। अनुसंधानकर्ता का व्यक्तिगत पक्षपात भी अवलोकन के मार्ग में बाधक है।
5. घटनाओं के पूर्ण ज्ञान में कमी-अवलोकन के कार्य में सबसे बड़ी बाधा यह भी है कि अवलोकन के द्वारा घटनाओं का पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। जिन घटनाओं का हम अध्ययन कर रहे हैं, यह सम्भव है कि वे घटनाएँ किन्हीं विशेष परिस्थितियों में घटित हों। इन विशेष परिस्थितियों में घटित होने के कारण उनमें अनेक बाधाएँ उपस्थित होती हैं।

अवलोकन को वैज्ञानिक बनाने के लिए सुझाव
अवलोकन की सीमाओं को यदि सामने रखा जाए तो इसको वैज्ञानिक बनाने के मार्ग में पक्षपात, व्यवहार में कृत्रिमता तथा अवलोकनकर्ता के स्वार्थ आदि प्रमुख समस्याएँ आती हैं, लेकिन इन्हें थोड़ी सावधानी बरतकर दूर किया जा सकता है। अवलोकन को निम्नलिखित उपायों द्वारा अधिक विश्वसनीय बनाया जा सकता है-

⦁    अवलोकन योजना–अवलोकन करने से पहले अनुसंधानकर्ता को चाहिए कि वह किसी कार्य का अवलोकन करने से पूर्व अपनी अध्ययन-वस्तु के संबंध में पूर्ण योजना बना ले, जिससे अवलोकन को कार्य सरल हो जाता है तथा अवलोकनकर्ता निर्धारित योजना के अनुसार केवल संबंधित तथ्यों का ही अवलोकन करता है।
⦁    निष्पक्षता–अवलोकनकर्ता को चाहिए कि वह उन तथ्यों को निष्पक्ष एवं भाव से चयन करे, जिनका उसे अध्ययन करना है। इस अध्ययन में उसके विचार पक्षपात का स्रोत हो सकते हैं। इसलिए अपने विचारों से प्रभावित हुए बिना उसे निष्पक्ष रूप से अपना अध्ययन करना चाहिए।
⦁    अवलोकन पथप्रदर्शिका तथा अनुसूची का प्रयोग–अवलोकन में यदि अवलोकन पथप्रदर्शिका तथा अनुसूची का प्रयोग किया जाए तो वह अधिक सूक्ष्म तथा अर्थपूर्ण हो सकती है। अनुसूची इस प्रकार तैयार की जानी चाहिए कि उसके आधार पर अध्यय-वस्तु के संबंध में पूर्ण ज्ञान हो सके।
⦁    उपकल्पना का निर्माण–अवलोकन कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए सुनिश्चित उपकल्पना का निर्माण करना अत्यन्त आवश्यक है; क्योंकि ऐसा करने से अनुसंधान कार्य केंद्रित हो जाता है।
⦁    निश्चित समस्या का निर्माण–अवलोकन की सफलता के लिए यह भी आवश्यक है कि अध्ययन के लिए किसी निश्चित समस्या का निर्माण किया जाए और साथ-ही-साथ समस्या के अध्ययन का क्षेत्र भी निश्चित किया जाए। सामान्य समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन एक कठिन कार्य है।
⦁    यांत्रिक साधनों का प्रयोग–अवलोकन को फोटो-फिल्म (कैमरा) तथा टेप-रिकॉर्डर इत्यादि का प्रयोग करके अधिक सूक्ष्म और विश्वसनीय बनाया जा सकता है। यांत्रिक साधन मानवीय इंद्रियों के प्रयोग की कमी को दूर करने में सहायता प्रदान करते हैं।
⦁    समाजमिति पैमानों का प्रयोग-समाजमिति पैमानों का प्रयोग करके गुणात्मक सामाजिक तथ्यों को ठीक प्रकार से मापा जा सकता है तथा अवलोकित सूचना की प्रामाणिकता की जाँच की जा सकती है। समाजमिति लघु समूहों में अवलोकन को अधिक विश्वसनीय एवं वैज्ञानिक बनाने में सहायक है।
⦁    निष्पक्ष व्यवहार—अवलोकनकर्ता के कार्य में पक्षपातपूर्ण व्यवहार नहीं करना चाहिए। यदि वह निष्पक्ष रूप से व्यवहार का अवलोकन करेगा तो उसके निष्कर्ष अधिक प्रामाणिक, विश्वसनीय एवं वैज्ञानिक होंगे। यद्यपि यह एक कठिन कार्य है, तथापि अवलोकन-योजना बनाकर निष्पक्षता बनाए रखी जा सकती है।
⦁    अवलोकन का सामूहिक रूप-अवलोकन को अधिक सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि अवलोकन का कार्य सामूहिक रूप से किया जाए, क्योंकि अनेक क्षेत्रों के विशेषज्ञों के द्वारा अवलोकन निष्पक्ष तथा त्रुटिहीन होता है। इसके लिए अनुसंधानकर्ताओं को एक दल सामूहिक रूप से घटनाओं को अवलोकन करता है। किसी एक अनुसंधानकर्ता की कमी अन्य अनुसंधानकर्ताओं के अवलोकन द्वारा दूर हो जाती है। इसलिए आजकल अवलोकन में सामूहिक दलों का महत्त्व निरंतर बढ़ता जा रहा है।

निष्कर्ष-उपर्युक्त विवेचने से यह स्पष्ट हो जाता है कि अवलोकन के मर्ग में आने वाली प्रमुख धाएँ वास्तव में अवलोकन पद्धति की कमियाँ नहीं हैं, अपितु अनुसंधानकर्ता द्वारा इस पद्धति का दोषपूर्ण रूप से प्रयोग करना है। इसलिए इसे वैज्ञानिक बनाने में अवलोकनकर्ता को ही अपने पर नियंत्रण रखना पड़ता है तथा उन सभी स्रोतों के प्रति सावधान रहना पड़ता है, जो अध्ययन को प्रभावित करके इसे अवैज्ञानिक बना देते हैं। सामूहिक दलों द्वारा अवलोकने का निरंतर बढ़ता हुआ उपयोग इस बात को प्रमाणित करता है कि यदि व्यक्तिगत पक्षपात पर नियंत्रण कर लिया जाए तो अवलोकन को काफी सीमा तक वैज्ञानिक बनाया जा सकता है।

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