साक्षात्कार के विभिन्न प्रकार सामाजिक अनुसंधान में साक्षात्कार पद्धति का प्रयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है। इसका प्रमुख रूप से वर्गीकरण अनेक आधारों पर किया गया है। वर्गीकरण के प्रमुख आधार तथा उनके अनुरूप, साक्षात्कार के प्रकार अग्रलिखित हैं-
(अ) उद्देश्यों या कार्यों के आधार पर वर्गीकरण
उद्देश्यों तथा कार्यों के आधार पर साक्षात्कार को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
⦁ कारक-परीक्षक साक्षात्कार-इस प्रकार के साक्षात्कार में गंभीर सामाजिक घटना के कारणों की समीक्षा की जाती है। समाज में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं अथवा परिस्थितियों के कुछ विशेष कारक या तत्त्व होते हैं। इन कारकों की खोज करना ही कारक-परीक्षक साक्षात्कार का प्रमुख उद्देश्य है।।
⦁ उपचार-संबंधी साक्षात्कार-समाज में, चाहे वह आदिम हो या आधुनिक, किसी-न-किसी प्रकार की समस्याएँ रहती ही हैं। उपचार संबंधी साक्षात्कार इसी प्रकार की समस्याओं को दूर करने के उपायों की खोज से संबंधित है। इस प्रकार के साक्षात्कार में, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, अनुसंधानकर्ता का उद्देश्य किसी समस्या का उपचार करना होता है।
⦁ अनुसंधान-संबंधी साक्षात्कार–इस प्रकार के साक्षात्कार का उद्देश्य नवीन ज्ञान की खोज करना है। यह नवीन ज्ञान सामाजिक समस्याओं और सामाजिक घटनाओं से संबंधित होता है। अनुसंधान-संबंधी साक्षात्कार में विषयों एवं घटनाओं से संबंधित तथ्यों तथा कारकों की खोज की जाती है। इस प्रकार के साक्षात्कार का उद्देश्य पहले दोनों प्रकार के साक्षात्कारों से विस्तृत है।
(ब) औपचारिकता के आधार पर वर्गीकरण
औपचारिकता के आधार पर साक्षात्कार को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
⦁ औपचारिक साक्षात्कार–इस प्रकार के साक्षात्कार को नियंत्रित साक्षात्कार’ भी कहते हैं। इसमें अनुसंधानकर्ता साक्षात्कारदाता से पूर्वनिश्चित प्रश्नों को ही पूछ सकता है। इन प्रश्नों को पूछने में अनुसंधानकर्ता किसी प्रकार का संशोधन नहीं कर सकता और न ही इन प्रश्नों से हटकर दूसरे प्रश्न पूछ सकता है। इसे संचालित साक्षात्कार’, ‘व्यवस्थित साक्षात्कार’ अथवा ‘नियोजित साक्षात्कार’ भी कहा जा सकता है।
⦁ अनौपचारिक साक्षात्कार-अनौपचारिक साक्षात्कार को ‘अनियंत्रित साक्षात्कार , ‘असंचालित साक्षात्कार’, ‘अव्यवस्थित साक्षात्कार’ अथवा ‘नियोजित साक्षात्कार’ भी कहा जाता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता पर किसी प्रकार के पूर्वनिर्मित प्रश्नों को पूछने का कोई नियंत्रण नहीं होता और साक्षात्कारदाता भी प्रश्नों के उत्तर स्वतंत्र रूप से देता है। यह एक प्रकार से मुक्त वार्तालाप के रूप में होता है, जिस
(स) उत्तरदाताओं की संख्या के आधार पर वर्गीकरण
उत्तरदाताओं की संख्या के आधार पर साक्षात्कार के निम्नलिखित दो प्रकार हैं-
⦁ व्यक्तिगत साक्षात्कार–व्यक्तिगत साक्षात्कार में, जैसाकि इसके नाम से ही स्पष्ट है, किसी व्यक्ति के बारे में विस्तृत सूचनाएँ प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। इसमें सूचनादाता से औपचारिक अथवा अनौपचारिक रूप से समस्या की प्रकृति के अनुकूल एक के बाद एक प्रश्न पूछा जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में केवल सूचनादाता और अंवेषणकर्ता ही उपस्थित रहते हैं।
⦁ सामूहिक साक्षात्कार–व्यक्तिगत साक्षात्कार के विपरीत सामूहिक साक्षात्कार, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, एक ही समय में अनेक सूचनादाताओं से सूचना एकत्रित करने से संबंधित साक्षात्कार है। इसमें व्यक्तिगत साक्षात्कार के दोष समाप्त हो जाते हैं। जब एक सदस्य उत्तर देता है तो अन्य सदस्य उसकी पुष्टि करते हैं। इस प्रकार के साक्षात्कार से प्राप्त सूचनाएँ अधिक विश्वसनीय मानी जाती हैं।
(द) अध्ययन-पद्धति के आधार पर वर्गीकरण
अध्ययन-पद्धति के आधार पर साक्षात्कार को निम्नांकित चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
⦁ गैर-निर्देशित साक्षात्कार—यह साक्षात्कार अनियंत्रित अथवा अनौपचारिक साक्षात्कार के समान है। इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता अथवा उत्तरदाता पर न तो किसी प्रकार का नियंत्रण ही होता है और न ही पहले से निर्मित कोई प्रश्नावली इत्यादि। साक्षात्कारकर्ता सूचनादाता को विषये के संबंध में एक कहानी के रूप में अपने मनोभाव व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है और सूचनादाता स्वतंत्र रूप से उसका विवरण प्रस्तुत करता है। यह स्वतंत्र एवं मुक्त प्रकार का वार्तालाप है।
⦁ केंद्रित साक्षात्कार-इस प्रकार का साक्षात्कार उत्तरदाता की उन परिस्थितियों के संबंध में | किया जाता है, जिनमें उत्तरदाता पहले रह चुका हो। इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता। का ध्यान उसी परिस्थिति पर केंद्रित रहता है, जिसका पूर्वज्ञान साक्षात्कारदाता को है। साक्षात्कारकर्ता यह जानने का प्रयास करता है कि अमुक परिस्थिति का उत्तरदाता पर क्या प्रभाव पड़ा है। इस प्रकार के साक्षात्कार को केंद्रित साक्षात्कार इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें किसी घटना या इसके किसी विशेष अंमं पर ही ध्यान केंदित करके प्रश्न पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिए एक साक्षात्कारदाता ने कोई फिल्म देखी है; तो साक्षात्कारकर्ता केंद्रित साक्षात्कार में यह जानने का प्रयास करता है कि साक्षात्कारदाता पर उस फिल्म का क्या प्रभाव पड़ा है। इस प्रकार के साक्षात्कार में अनुसंधानकर्ता साक्षात्कारदाता को किसी प्रकार का कोई निर्देश नहीं देता, वह निश्चित विषय या परिस्थिति के अतिरिक्त अन्य किसी विषय या । परिस्थिति में केंद्रित नहीं रहता। इसके अतिरिक्त, इसमें साक्षात्कारक़र्ता विषय का व्यक्तिगत रूप से गहन अध्ययन करता है। इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग रोबर्ट के० मर्टन ने रेडियो के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए किया था। आज केंद्रित साक्षात्कार, जनसंचार अनुसंधान में एक प्रमुख प्रविधि बन चुका है।
⦁ पुनरावृत्ति साक्षात्कार—यह साक्षात्कार, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, एक से अधिक बार साक्षात्कार करने से संबंधित है। जब सूचनादाताओं से एक से अधिक बार साक्षात्कार करके सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं तो उसे पुनरावृत्ति साक्षात्कार कहा जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग अधिकतर व्यक्तियों के मूल्यों एवं मनोवृत्तियों में होने वाले परिवर्तनों के अध्ययनों के लिए किया जाता है। यदि कुछ चुने हुए सूचनादाताओं (निश्चित संख्या में) से एक से अधिक बार साक्षात्कार करके सूचना एकत्रित की जाती है तो उसे हम ‘पैनल (Panel) अध्ययन’ कहते हैं।
⦁ गहन साक्षात्कार–इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग वैयक्तिक अध्ययन तथा ऐसे अन्य अध्ययनों में किया जाता है, जिनमें अत्यधिक विस्तृत व गहन सूचनाएँ एकत्रित करनी होती हैं। इसमें औपचारिक साक्षात्कार द्वारा संबंधित घटना के बारे में (उसके सभी पक्षों के बारे में) गहन व विस्तृत सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं। सामाजिक समस्याओं की प्रकृति जानने के लिए भी इस प्रकार के साक्षात्कार का प्रयोग किया जाता है।
साक्षात्कार के उपर्युक्त प्रकारों के अतिरिक्त कुछ विद्वानों ने अल्पकालीन साक्षात्कार’ तथा ‘दीर्घकालीन साक्षात्कार का भी उल्लेख किया है। अल्पकालीन साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता एक बार में सबसे सूचनाएँ प्राप्त करने का प्रयास करता है और सभी कार्य थोड़े ही समय में पूरा करता है। इसके विपरीत, दीर्घकालीन साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता को उत्तरदाता के पास कई बार जाना पड़ता है। और सूचना प्राप्ति का कार्य देर तक करना पड़ता है। निष्कर्ष–उपर्युक्त विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि, साक्षात्कार पद्धति में साक्षात्कारकर्ता सूचनादाता के आमने-सामने की परिस्थति में सूचना प्राप्त करने का प्रयास करता है। इसके विविध प्रकार हैं, परंतु अधिकांशत: औपचारिक एवं अनौपचारिक साक्षात्कार का ही प्रयोग किया जाता है।