हममें से प्रत्येक अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अन्य लोगों पर आश्रित है। अन्य लोगों का अप्रत्यक्ष सहयोग ही इन आवश्यकताओं की पूर्ति को संभव बनाता है। उदाहरणार्थ-कपड़ों के लिए हम कपड़े के दुकानदार पर निर्भर हैं, इसकी सिलाई के लिए दर्जी पर, इसकी धुलाई के लिए साबुन या सर्फ बनाने वाली कंपनी पर तथा कपड़ों को इस्त्री करने के लिए धोबी या बिजली की प्रेस बनाने वाली कंपनी तथा बिजली पर। सहयोग की ही भाँति हमें निरन्तर प्रतिस्पर्धा भी करनी पड़ती है। कॉलेज में प्रवेश हेतु अन्य छात्रों से प्रतिस्पर्धा, अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अथवा नौकरी प्राप्त करने के लिए भी हमें अन्य लोगों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। खेलकूद के समय भी प्रत्येक खिलाड़ी का यह प्रयास रहता है कि वह अन्य की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करे ताकि राज्य स्तर पर होने वाली खेल प्रतिस्पर्धाओं में उसकी टीम के सदस्य के रूप में चयन हो सके। कारखाने अथवा अन्य किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान के मालिक तथा मजदूर या कर्मचारी अपने प्रतिदिन के कार्यों में एक-दूसरे का सहयोग करते हैं परंतु कुछ हद तक उनके हितों में संघर्ष उनके संबंधों को परिभाषित करता है। वास्तविकता यह है कि सहयोग, प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष के आपसी संबंध अधिकतर जटिल होते हैं तथा ये आसानी से अलग नहीं किए जा सकते।