2005 ई० का ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ निर्धन ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया एक सराहनीय प्रयास माना जाता है। ग्रामीण निर्धनों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए, उनके लिए रोजगार को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता. उन्मूलन भारत सरकार की विकास नीति का एक अभिन्न अंग रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना’ 25 दिसम्बर, 2001 ई० को प्रारंभ की गई थी। दिहाड़ी रोजगार के अवसर बढ़ाने, कमजोर वर्गों और जोखिमपूर्ण व्यवसायों से हटाए गए बच्चों के अभिभावकों को विशेष सुरक्षा प्रदान करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु प्रांरभ की गई यह योजना इसलिए प्रमुख विकास योजना मानी जाती है क्योंकि इसके अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों को दिहाड़ी के रूप में न्यूनतम 5 किलोग्राम अनाज और कम-से-कम 25 प्रतिशत निर्धारित मजदूरी नकद दी जाती है।
यह कार्यक्रम निर्धन ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देकर न केवल ग्रामीण बेरोजगारी को समाप्त करने में सहायक हो रहा है अपितु इससे निर्धनता रेखा के नीचे जीवनयापन केरने वाले परिवारों को ऊपर उठाने में भी सहायता मिल रही है। इसीलिए इस कार्यक्रम में निर्धनता रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को प्राथमिकता दी जाती है। यह कार्यक्रम महिलाओं, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के निर्धन लोगों का चयन कर उन्हें रोजगार हेतु अवसर उपलब्ध कराता है। यदि यह कार्यक्रम सफल हो जाता है तो ग्रामीण निर्धनता एवं बेरोजगारी काफी सीमा तक कम हो सकती है। इससे निर्धन ग्रामीणों को शोषण भी रूक जाएगा तथा उन्हें ससम्माने अपना जीवन व्यतीत करने का अवसर उपलब्ध हो पाएगा।