कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो रोजगार की तलाश में बिना सोचे-समझे गाँव छोड़ देते हैं। नगर में उन्हें पहले तो रोजगार मिलता ही नहीं और यदि रोजगार मिल भी जाता है तो वे इससे अपने पूरे परिवार का खर्चा नहीं उठा सकते। नगरों में मकानों के महँगे किराये हैं तथा जीवनयापन हेतु भी अधिक धन की आवश्यकता होती है। हो सकता है कि कोई व्यक्ति इन सबसे निराश होकर पुनः गाँव जाने का निर्णय ले ले। वह यह सोचकर वापस गाँव चला जाए कि इतने पैसे कमाकर तो वह गाँव में ही अपना गुजारा आसानी से कर सकता है।
उसके साथ कोई ऐसी घटना भी घटित हो सकती है जो उसे नगरीय जीवन से विमुख कर दे। पहले कभी फिल्मों में यह दिखाया जाता है था कि जब कोई हीरो गाँव से नगर पहली बार आता है तो या तो उसका सामान चोरी हो जाता है या उसकी जेब काट ली जाती है या उसे कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाता है जो उसके भोलेपन का फायदा उठाने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति वापस जाने को तैयार हो जाते हैं। अधिकांश व्यक्ति, जिन्हें नगरीय जीवन ग्रामीण जीवन से अधिक सुविधा-संपन्न लगता है, कभी भी गाँव वापस जाने के बारे में सोचते ही नहीं हैं। गाँव छोड़ने के कारणों में नगरों में बच्चों हेतु उच्च, तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा की उपलब्धता, रोजगार के अधिक अवसर, नगरीय जीवन का आकर्षण आदि प्रमुख हो सकते हैं।