मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के अन्तर्गत मानवीय संवेगों की उत्पत्ति के विषय में मुख्य रूप से दो सिद्धान्तों को मान्यता प्राप्त है। ये सिद्धान्त हैं-जेम्स-लॉज का सिद्धान्त तथा कैनन-बार्ड का सिद्धान्त। ये दोनों सिद्धान्त भिन्न तथा परस्पर विरोधी हैं। जेम्स-लाँज सिद्धान्त के अनुसार संवेगों की अनुभूति शारीरिक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप होती है। इस मान्यता के आधार पर कहा गया है कि यदि शारीरिक परिवर्तनों पर रोक लगा दी जाए तो संवेगों की अनुभूति भी नहीं होगी। इसके विपरीत या भिन्न रूप से कैनन-बार्ड सिद्धान्त के अनुसार संवेगों की अनुभूति बाहरी विषय-वस्तुओं के परिणामस्वरूप होती है तथा संवेग की। अनुभूति के बाद ही कुछ शारीरिक परिवर्तन तथा कुछ क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं। कैनन-बार्ड सिद्धान्त ने स्पष्ट किया है कि संवेगों की उत्पत्ति का केन्द्र मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस नामक भाग होता है। यही कारण है कि इस सिद्धान्त को हाइपोथैलेमस सिद्धान्त के रूप में भी जाना जाता है।