भारतीय मनोवैज्ञानिक डॉ० जायसवाल ने संवेगों को निम्नलिखित पाँच वर्गों में बाँटा है –
⦁ जिज्ञासु संवेग – इस वर्ग में उन संवेगों को सम्मिलित किया गया है जिनको सम्बन्ध जिज्ञासा से है। ज्ञान-प्राप्ति की इच्छा या ज्ञानार्जन का प्रेम इसी वर्ग का संवेग है।
⦁ स्वार्थी संवेग – इस वर्ग में व्यक्तिगत स्वार्थ से सम्बद्ध संवेगों को सम्मिलित किया गया है। इस वर्ग के मुख्य संवेग हैं-क्रोध, भय, आत्मसम्मान की भावना तथा आत्महीनता की भावना।
⦁ सामाजिक संवेग – व्यक्ति के समाज से सम्बन्ध स्थापित कराने वाले संवेगों को सामाजिक संवेग कहा गया है। इस वर्ग के मुख्य संवेग हैं—प्रेम, सहानुभूति तथा सम्मान।
⦁ नैतिक संवेग – इस वर्ग में नैतिकता से सम्बद्ध संवेगों को सम्मिलित किया गया है। इस वर्ग के मुख्य संवेग हैं-दया, करुणा, परोपकार तथा कर्तव्यपालन।
⦁ सौदर्यात्मक संवेग – इस वर्ग में सौन्दर्य बोध से जुड़े हुए संवेगों को सम्मिलित किया गया है। इस वर्ग के मुख्य संवेग हैं-संगीत, कला या आकर्षक वस्तुओं से प्रेम।