आधुनिक युग में विज्ञापनों की बढ़ती हुई उपयोगिता के कारण इन्हें मानव-जीवन का एक अपरिहार्य अंग मान लिया गया है। हर रोज सुबह को समाचार-पत्रों में विज्ञापन के साथ दिनारम्भ होता है, समाचार-पत्रों में रखे विज्ञापन के पैम्फलेट, रेडियो या एफ०एम० पर विज्ञापन, सड़क और चौराहों के बोर्ड, टेलीविजन पर विज्ञान आदि-आदि, मनुष्य का जीवन हर तरफ विज्ञापनों से भरा पड़ा है। छोटी-से छोटी वस्तु के क्रय-विक्रय से लेकर आवश्यकताओं से सम्बन्धित तथा वैवाहिक विज्ञापन अपने महत्त्व एवं उपयोगिता को सिद्ध करते हैं। विज्ञापन और तकनीक की प्रगति ने विज्ञापन के क्षेत्र को भी विभिन्न नवीनतम प्रविधियों, यन्त्रों, माध्यमों तथा साधनों से सुसज्जित किया है।
विज्ञापन के प्रमुख साधन अथवा माध्यम (Advertising Media)
विज्ञापन के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं –
(1) समाचार-पत्र – समाचार-पत्र विज्ञापन का सर्वव्यापी एवं सर्वस्वीकृत साधन है। अधिकांश समाचार-पत्र प्रतिदिवस प्रात: प्रकाशित होते हैं। कुछ सन्ध्याकाल में या सप्ताहवार भी प्रकाशित किये जाते हैं। समाचार-पत्रों की आय का मुख्य साधन विज्ञापन है क्योंकि इन पत्रों के माध्यम से सन्देश को देश-विदेश में पहुँचाया जा सकता है। वस्तुतः दैनिक समाचार-पत्र जन-सम्पर्क के श्रेष्ठ साधन कहे जाते हैं। शिक्षित लोगों का एक बड़ा प्रतिशत तो निस्सन्देह, समाचार-पत्र पढ़ने को आदि है ही, लेकिन अनपढ़ लोग भी इसमें समुचित दिलचस्पी रखते हैं और शिक्षित लोगों से पूछताछ कर विज्ञापन आदि की जानकारी प्राप्त करते हैं। समाचार-पत्रों के कुछ पृष्ठ एवं विशिष्ट स्थान विज्ञापन के लिए ही निश्चित होते हैं। ये विज्ञापन प्रायः भावात्मक अपील के साथ सरल और सीधी भाषा-शैली में होते हैं। विज्ञापनों की निरन्तर पुनरावृत्ति से विज्ञापन की प्रभावकता में वृद्धि भी होती है। नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, जनसत्ता, दैनिक जागरण, अमर उजाला, पंजाब केसरी, आदि-आदि अनेक समाचार-पत्र विभिन्न स्थानों से प्रकाशित एवं प्रसारित होते हैं। इस प्रकार समाचार-पत्र नाना प्रकार के विज्ञापन का प्रमुख साधन है।
(2) पत्रिकाएँ एवं अन्य प्रकाशन – अनेक मासिक, पाक्षिक तथा साप्ताहिक पत्रिकाएँ भी विज्ञापन की अच्छी माध्यम हैं। कुछ जनप्रिय एवं अच्छी पत्रिकाओं की साज-सज्जा, कागज, छपाई तथा पाठ्य-सामग्री इतनी आकर्षक होती है कि लोग इन्हें खरीदकर पढ़ते हैं और सँभालकर रख लेते हैं। इन पत्रिकाओं का एक विशेष आकर्षण उनमें छपे रंगीन एवं अनूठे विज्ञापन हैं। आजकल पत्रिकाओं में प्रकाशित विज्ञापनों के चित्र, सामग्री तथा प्रस्तुतीकरण का समंजन इतने उच्च स्तर का होने लगा है। कि बहुत से लोग तो इन्हें बहुत ही दिलचस्पी लेकर देखते-पढ़ते हैं। मुख्य पत्रिकाओं के अतिरिक्त अन्य प्रकाशन भी हमें प्राय: हर एक बुक स्टॉल पर रखे हुए मिलते हैं। इस भाँति पत्रिकाएँ तथा अन्य कुछ प्रकाशन विझपन के महत्त्वपूर्ण साधन हैं।
(3) पोस्टर एवं बोर्ड – नगरों एवं महानगरों के चौराहों पर, राष्ट्रीय राजमार्गों पर तथा अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों पर विशालकाय बोर्ड लगाकर उन पर विज्ञापन लिखे जाते हैं। ये बोर्ड अपनी स्थिति के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। बहुधा इन बोर्डो पर लिखे विज्ञापनों की सामग्री संक्षिप्त, रोचक व प्रभावशाली होती है तथा चित्रे बड़े, रंगीन और आकर्षक होने के कारण लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कुछ छोटे-छोटे बोर्ड बस, ट्रक या कारों पर भी लटके हुए देखे जा सकते हैं।
बोर्डों के अतिरिक्त नगरों की दीवारों पर पोस्टर भी चिपके हुए दिखाई पड़ते हैं। ये पोस्टर किसी कम्पनी या व्यापारिक संस्थान के हो सकते हैं तथा फिल्मों के भी-ज्यादातर फिल्म उद्योग से सम्बन्धित पोस्टर ही हमें दीवारों पर चिपके हुए दिखाई पड़ते हैं। पोस्टर चिपकाने से दीवारें खराब हो जाती हैं; अत: मकान मालिक इनके चिपकाने पर आपत्ति करते हैं। यही कारण है कि आमतौर पर रात को ही पोस्टर चिपकाये आते हैं। इस दृष्टि से यह आपत्तिजनक तथा समाज विरोधी कार्य है। ऐसा ही एक अन्य कार्य दीवारों पर रंग-रोगन से लिखवाकर विज्ञापन करना भी है। निजी दीवार पर लिखना या किराया देकर वे स्वीकृति लेकर लिखना एक अलग बात है, अन्यथा इसे भी अच्छा एवं उचित नहीं कहा जा सकता। कुछ भी सही लेकिन बोर्ड के माध्यम से, पोस्टर द्वारा या दीवार पर लिखकर विज्ञापन करना विज्ञापन के प्रमुख माध्यम हैं।
(4) पर्चे छपवाना – आमतौर पर कम्पनियाँ, व्यापारिक संस्थाएँ, प्रतिष्ठित दुकानदार एवं अन्य संस्थान कागज के पर्चे पर विज्ञापन छपवाकर उन्हें समाचार-पत्रों में रखवा देती हैं या बाजार आदि में बँटवाती हैं। विज्ञापन की दुनिया में इसे एक स्वस्थ परम्परा तथा सशक्त माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है क्योंकि इससे किसी को किसी प्रकार की हानि नहीं होती। विज्ञापनकर्ता द्वारा छपवाकर बाँटे गये ऐसे पर्चे जिज्ञासु, इच्छुक तथा सम्बन्धित लोग ही पढ़ पाते हैं, अन्यथा प्रायः लोग इन्हें फाड़कर फेंक देते हैं।
(5) रेडियो पर विज्ञापन – आज की दुनिया में रेडियो/मोबाइल फोन का प्रयोग बहुतायत से होता है। हमारे देश में रेडियो पर विविध भारती, ऑल इण्डिया रेडियो तथा रेडियो सीलोन पर प्रसारित कार्यक्रमों ने काफी लोकप्रियता अर्जित की है। इन प्रसारणों में विज्ञापन प्रसारण सेवा प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण है। विज्ञापन के प्रसारण में संगीत लय की सुमधुर धुनें हृदय पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इनकी अनुगूंज श्रोता के मस्तिष्क में लम्बे समय तक बसी रहती है। यही कारण है कि रेडियो के विज्ञापन घर-घर सुने जाते हैं और विज्ञापन के सशक्त माध्यम के रूप में स्वीकृत हैं।
(6) दृश्य-श्रव्य माध्यम – दृश्य-श्रव्य माध्यम में टेलीविजन, वीडियो, मोबाइल तथा सिनेमा प्रमुख एवं प्रभावशाली माध्यम हैं। यह माध्यम मुद्रित माध्यम से कई गुना अधिक प्रभावशाली कहा जा सकता है। टेलीविजन पर अनेक कम्पनियों, उद्योगों तथा व्यापारिक संस्थानों के विज्ञापन तथा प्रायोजित कार्यक्रम दिखाये जाते हैं। वीडियो फिल्में भी टेलीविजन के साथ जुड़ी हैं। वीडियो रील में तो विज्ञापनों की भरमार होती है। सिनेमा में सभी आयु वर्ग के लोग मनोरंजन हेतु जाते हैं पिक्चर शुरू होने से ही पहले तथा इण्टरवल के समय भारी मात्रा में विज्ञापन दिखाये जाते हैं। इस प्रकार दृश्य-श्रव्य माध्यम विज्ञापन का एक अत्यन्त प्रभावशाली व महत्त्वपूर्ण साधन है।
(7) अन्य माध्यम – कुछ समृद्ध औद्योगिक एवं व्यापारिक संस्थान पर वार्षिक कैलेण्डर, डायरी, चाबी के गुच्छे, पेन तथा पेन-होल्डर आदि पर अपना विज्ञापन छपवाते हैं। रेलवे टाइम-टेबिल तथा टेलीफोन निर्देशिका पर भी विज्ञापन दिए जाते हैं। बड़े-बड़े मेलों में विशालकाय उड़ने वाले गुब्बारों पर भी विज्ञापन देखे जाते हैं।