आज के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक युग में विज्ञापन का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। विश्व की विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ व्यापक स्तर पर विज्ञापन सम्बन्धी प्रविधियाँ तथा तकनीकों को अपनाती हैं। आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्रों में प्रतियोगिता का बोलबाला है। बाजार में अनेकानेक फर्मे हैं और उनके ढेरों उत्पादन हैं। किसी एक वस्तु की खरीदारी के समय क्रेता बाजार में उस वस्तु के अनेक फर्मों द्वारा निर्मित स्वरूप देखता है। उदाहरण के लिए–साबुन खरीदते समय वह एक ही दुकान पर ढेर सारे साबुन; जैसे–लक्स, हमाम, रेक्सोना, लाइफबॉय, लिरिल, सिन्थॉल, मोती, मारवेल, गोदरेज, सरल तथा निरमा आदि-आदि देखता है।
क्रेता के सामने इनमें से एक साबुन को चुनने की समस्या है और साथ-ही-साथ उसे अपनी जेब का ख्याल भी रखना है। यहाँ विज्ञापन उसे बताता है कि कम दामों में वह कैसे अपनी रुचि का अच्छे-से-अच्छा साबुन खरीद सकता है। इसका दूसरा पक्ष भी है – मान लीजिए, किसी नयी फर्म ने एक नहाने का साबुन बनाया जो गुणवत्ता में इन सबसे आगे है और दाम भी कम हैं; लेकिन खरीदार को यह कैसे पता चले कि इस नाम से एक साबुन उपलब्ध है; फिर उसकी विशेषताओं को भी बताना होगा, अन्य साबुनों की तुलना में उसका वजन और दाम भी खोलना होगा, यह भी बताना होगा कि खरीदार कम-से-कम दाम में बढ़िया-से-बढ़िया चीज खरीदकर ले जा रहा है; यही नहीं, उसे इसका विश्वास कैसे दिलाया जाए और उसकी रुचि के अनुसार उसमें उस साबुन के क्रय की इच्छा कैसे पैदा की जाए? ये सभी बातें विज्ञापन के अन्तर्गत आती हैं और विज्ञापन के माध्यम से सुगम बनायी जाती हैं।
विज्ञापनों के माध्यम से उत्पादक, उत्पादित वस्तु तथा उपभोक्ताओं के मध्य एक अच्छा तालमेल स्थापित हो जाता है। उत्पादक घर बैठे ही उपभोक्ता से सम्पर्क साध लेता है और अपनी वस्तु उसके पास पहुँचा देता है। जो फर्म या व्यापारिक संस्था जितना अच्छे स्तर का विज्ञापन जुटा पाती है, उसकी बिक्री उतनी ही बढ़ जाती है। यही कारण है कि आज के समय में विज्ञापन एक कला, एक विज्ञान, एक उद्योग के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है। सभी बड़े-बड़े उद्योग अपने वार्षिक बजट का एक अच्छा प्रतिशत विज्ञापन पर खर्च करते हैं।
बहुत-सी संस्थाएँ विज्ञापन पर करोड़ों तथा अरबों रुपया खर्च करती हैं और उनके माध्यम से उससे ज्यादा कमाती भी हैं। इसके लिए बड़े-बड़े साइनबोर्ड, इलेक्ट्रॉनिक्स के माध्यम से जगमगाते एवं गति करते बोर्ड, भाँति-भाँति के पोस्टर, पैम्फलेट, रेडियो, टी०वी०, सिनेमा तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञापन देकर प्रचार किया जाता है। आजकल हर एक वस्तु विज्ञापित हो सकती है, इसमें दैनिक उपयोग की वस्तुएँ, साहित्य, कला, राजनीतिक नेता, अभिनेता, वर-वधू के विज्ञापन, संस्थाओं तथा प्रतिष्ठानों के विज्ञापन तथा विज्ञापन-फर्मों के भी विज्ञापन सम्मिलित किये जाते हैं। निस्सन्देह विज्ञापन मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष पर छा चुका है और उद्योगों व व्यापारिक संस्थानों के लिए तो यह एक वरदान सिद्ध हो चुका है। यही कारण है कि प्रगतिशील देशों में विज्ञापन के क्षेत्र में हर रोज एक-न-एक नयी खोज की जाती है जो प्रचार की दुनिया में बढ़ता हुआ एक नया कदम होता है।