श्रमिकों अथवा कर्मचारियों के साथ सद्व्यवहार करते हुए उनकी शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक, सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक आवश्यकताओं को पूरा करने की दृष्टि से विभिन्न कल्याणकारी कार्यों को लेकर श्रमिकों तथा उद्योगपतियों के मध्य प्रेम तथा श्रद्धा का सम्बन्ध स्थापित होना ही उद्योग में मानवीय सम्बन्ध कहलाता है।