समंकों की मुख्य विशेषताएँ सांख्यिकी का सम्बन्ध समंकों से होता है। समंकों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(1) समंक तथ्यों के समूह होते हैं – इसका अभिप्राय यह है कि किसी एक तथ्य से सम्बन्धित संख्या समंक नहीं कही जा सकती है, क्योंकि एक संख्या से कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। उदाहरण के लिए-यदि किसी विद्यार्थी के हिन्दी में प्राप्तांक 40 हैं तो ये प्राप्तांक समंक नहीं कहे जाएँगे, परन्तु यदि उस कक्षा के समस्त विद्यार्थियों के प्राप्तांक दिये हुए हैं तो इन प्राप्तांकों को समंक कहा जाएगा।
(2) समंक संख्याओं के रूप में व्यक्त किये जाते हैं – सांख्यिकी में संख्याओं के रूप में व्यक्त किये गये तथ्य ही समंक कहलाते हैं, न कि गुणात्मक रूप में व्यक्त किये गये तथ्य उदाहरणार्थ–तथ्यों का गुणात्मक रूप; जैसे तीव्र बुद्धि, सामान्य, मन्द बुद्धि समंक नहीं कहलाएँगे; परन्तु यदि इन तथ्यों को हम संख्यात्मक रूप में व्यक्त कर दें तो वे संख्याएँ समंक कही जाएँगी; जैसे-बुद्धि को संख्यात्मक रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जाता है –
(3) समंकों के संकलन में उचित शुद्धता होनी चाहिए – समंकों के संकलन में उनकी शुद्धता पर काफी ध्यान देना चाहिए। समंकों की शुद्धता की मात्रा अनुसन्धान के क्षेत्र, उद्देश्य, साधन, समय आदि पर निर्भर करती है।
(4) समंकों को एक-दूसरे से सम्बन्धित रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए – इसका तात्पर्य यह है कि समंक सजातीय तथा समरूप होने चाहिए, तभी उनकी आपस में तुलना की जा सकती है। जैसे-यदि हम किसी कक्षा के एक विद्यार्थी के गणित में प्राप्तांक लिख लें और दूसरे विद्यार्थी की आयु लिख लें तो इन संख्याओं को हम समंक नहीं कह सकते; क्योंकि इन्हें एक-दूसरे से सम्बन्धित नहीं किया जा सकता। परन्तु यदि दोनों विद्यार्थियों के गणित में प्राप्तांक या दोनों की आयु ही लिखें तो वे समंक कहलाये जा सकते हैं।
(5) समंकों के संकलन का पूर्व-निश्चित उद्देश्य होता है – वे संख्यात्मक तथ्य ही समंक कहे जाएँगे जिनके संकलन का पूर्व-निश्चित उद्देश्य होता है। बिना उद्देश्य के एकत्रित किये गये आँकड़े समंक नहीं बल्कि केवल संख्याएँ ही कहलाते हैं।
(6) समंक अनेक कारणों से पर्याप्त सीमा तक प्रभावित होते हैं – समंकों पर अनेक कारणों को सामूहिक रूप से प्रभाव पड़ता है। कोई एक घटना किसी एक कारण का परिणाम नहीं होती, अपितु अनेक कारणों से प्रभावित होती है। जैसे-यदि हाईस्कूल की परीक्षा में अधिक विद्यार्थियों की प्रथम श्रेणी है तो प्रथम श्रेणी के अनेक कारण हो सकते हैं। हो सकता है विद्यार्थी अधिक संख्या में प्रतिभावान हों, अधिक परिश्रम से पढ़ते हों, निरीक्षक उदार हों आदि।
(7) सर्मक व्यवस्थित रूप से संकलित होते हैं – समंक एकत्रित करने के लिए एक निश्चित योजना तैयार की जाती है तथा उन आँकड़ों का विश्लेषण करके समुचित तथा तर्कसंगत निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। संगणकों को आँकड़े एकत्रित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। समंक प्रश्नावली तथा अनुसूची के अनुसार एकत्र किये जाते हैं।
(8) समंकों को गणना या अनुमान द्वारा संकलित किया जाता है – संमकों को गणना अथवा अनुमान द्वारा एकत्रित किया जाता है। यदि अनुसन्धान का क्षेत्र सीमित है तो गणना द्वारा समंकों का संकलन,किया जा सकता है और यदि क्षेत्र विस्तृत है तो अनुमान द्वारा ही समंकों का संकलन सम्भव है।