केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापों या सांख्यिकीय माध्य की प्रमुख विशेषताएँ एवं गुण
‘केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापों का आदर्श माध्य में निम्नलिखित विशेषताएँ तथा गुण अनिवार्य रूप से होने चाहिए –
(1) सरल – एक अच्छी माध्य वही हो सकता है जो समझने तथा गणना करने में सरल हो। इससे उसका उपयोग व्यापक रूप में किया जा सकती है।
(2) स्पष्टता और निश्चितता – माध्य की परिभाषा स्पष्ट होनी चाहिए। उसकी कितनी ही बार गणना की जाये, उसका मान हमेशा ही समान आना चाहिए। अनुसन्धानकर्ता के अनुमान की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए। परिभाषा में भिन्न-भिन्न अर्थ न निकले।।
(3) प्रतिनिधित्व – माध्य ऐसा होना चाहिए कि समंक माला अर्थात् समूह के प्रमुख-प्रमुख लक्षण उसमें दिखाई दें। समग्र के प्रत्येक पद में उसके निकट रहने की प्रवृत्ति दिखलाई दे।
(4) बीजगणितीय क्रियाओं के योग्य – माध्य ऐसा हो कि उससे बीजगणितीय क्रियाएँ अर्थात् । जोड़, बाकी, गुणा एवं भाग आसानी से की जा सकें।
(5) माध्ये एक निरपेक्ष संख्या होनी चाहिए – माध्यम समंक माला की संख्याओं में हो,.न कि प्रतिशत या दूसरे सापेक्ष रूप में।
(6) न्यादर्श में परिवर्तन से माध्य बहुत कम प्रभावित हो। न्यादर्श के बदल जाने से माध्य में परिवर्तन न हो या क-से-कम हो। समग्र में से एक तरीके से अनेक न्यादर्श चुने जाये जिनके माध्य लगभग समान हों।
(7) समंक माला के सभी पदों पर आधारित होना चाहिए – माध्य किसी एक पद पर आधारित न हो, तभी माध्य समग्र का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
(8) माध्ये सीमान्त पदों से अधिक प्रभावित नहीं होना चाहिए, वह सभी पदों पर आधारित हो।