यह सत्य है कि सांख्यिकी की अत्यधिक उपयोगिता एवं महत्त्व है, परन्तु इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं। सर्वप्रथम हम कह सकते हैं कि सांख्यिकी के माध्यम से केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन किया जा सकता है, इसके माध्यम से गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार सांख्यिकी के माध्यम से विजातीय तथ्यों का अध्ययन नहीं किया जा सकता है। यही नहीं, इसके माध्यम से केवल समूह का अध्ययन किया जा सकता है, व्यक्ति का नहीं। बिना सन्दर्भ से सांख्यिकी के माध्यम से प्राप्त होने वाले परिणाम असत्य तथा भ्रामक होते हैं। सांख्यिकी के माध्यम से प्राप्त होने वाले परिणाम केवल औसत रूप में ही सही हैं। वास्तव में, सांख्यिकी एक साधन है, साध्य नहीं। इन्हीं सीमाओं को ध्यान में रखते हुए यूल तथा केण्डाल ने कहा है, “सांख्यिकीय राीतियाँ अयोग्य व्यक्तियों के हाथों में खतरनाक औजार हो सकती हैं।”