यह सत्य है कि साक्षरता तथा शिक्षा में स्पष्ट अन्तर है, परन्तु इस अन्तर के होते हुए भी साक्षरता तथा शिक्षा के बीच अटूट सम्बन्ध है। वास्तव में दोनों का एक ही लक्ष्य है और वह है मानव-जीवन को अधिक-से-अधिक सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाना। इस लक्ष्य तक पहुँचने की सीढ़ी का पहला सोपान ‘साक्षरता है और दूसरा सोपान ‘शिक्षा’। ये दोनों सोपान एक-दूसरे के सहायक एवं परिपूरक हैं तथा मानव-जीवन की पूर्णता के क्रमिक व अनिवार्य साधन हैं। साक्षरता के माध्यम से व्यक्ति दैनिक जीवन को सुचारु एवं सुव्यवस्थित बनाता है और शिक्षा उसके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करती है।