वैयक्तिक तथा सामूहिक शिक्षा(Individual and Collective Education)
शिक्षक तथा विद्यार्थी या छात्र के आपसी सम्बन्धों के आधार पर शिक्षा के दो प्रकारों का निर्धारण किया गया है, जिन्हें क्रमश: वैयक्तिक शिक्षा तथा सामूहिक शिक्षा के रूप में जाना जाता है। शिक्षा के इन दोनों प्रकारों का संक्षिप्त विवरण अग्रलिखित है–
1. वैयक्तिक शिक्षा- यह शिक्षा सिर्फ एक बालक से सम्बन्धित शिक्षा है, जिसके अन्तर्गत बालक को व्यक्तिगत रूप से तथा अकेले सिखाया जाता है। शिक्षा देते समय बालक की प्रकृति, योग्यता, रुचि, अभिरुचि तथा व्यक्तिगत विभिन्नता को ध्यान में रखा जाता है और शिक्षण की समस्त क्रियाओं का प्रभाव भी उसी बालक पर केन्द्रित किया जाता है। इस शिक्षा में शिक्षक प्रचलित नवीन शिक्षण-विधियों का प्रयोग करता है। आधुनिक समय में वैयक्तिक शिक्षा पर काफी जोर दिया जा रहा है, परन्तु गरीब देशों में इस प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था कर पाना बहुत कठिन है।
2. सामूहिक शिक्षा- सामूहिक शिक्षा बालकों के समूह से सम्बन्धित है, जिसके अन्तर्गत बहुत-से बालक कक्षा में एक साथ बैठकर एक ही प्रकार की शिक्षा प्राप्त करते हैं। सामूहिक शिक्षा में सभी बालकों को समान स्तर पर समान शिक्षण-विधियों द्वारा शिक्षा दी जाती है और उनकी व्यक्तिगत योग्यताओं, प्रवृत्तियों, रुचियों, अभिरुचियों तथा विभिन्नताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। वर्तमान में विश्वभर के सभी स्कूलों में सामूहिक शिक्षा का ही प्रचलन है। सामूहिक शिक्षा से केवल औसत क्षमताओं वाले छात्र ही लाभान्वित होते हैं। इस प्रकार की शिक्षा औसत से निम्न तथा औसत से उच्च-स्तर के छात्रों के लिए अधिक लाभकारी सिद्ध नहीं होती है।