प्रत्यक्ष शिक्षा तथा परोक्ष (अप्रत्यक्ष) शिक्षा(Direct and Indirect Education)
शिष्य या विद्यार्थी पर शिक्षक के पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर भी शिक्षा के प्रकारों का निर्धारण किया गया हैं, जिन्हें क्रमश: प्रत्यक्ष शिक्षा तथा परोक्ष शिक्षा के रूप में जाना जाता है। शिक्षा के इन दोनों प्रकारों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है–
1. प्रत्यक्ष शिक्षा- अनेक शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षा को अध्यापक तथा शिक्षार्थी के बीच एक द्विमुखी प्रक्रिया माना है। अध्यापक एक परिपक्व व्यक्तित्व होने के नाते अपने ज्ञान, आदर्श एवं चरित्र से बालक को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप बालक अध्यापक का अनुसरण करता है। जब अध्यापक और बालक पूर्व निश्चित उद्देश्य के अनुसार सुनियोजित रूप से एक-दूसरे के सम्मुख बैठकर ज्ञान का आदान-प्रदान करते हैं, तो उसे प्रत्यक्ष शिक्षा कहा जाता है।
2. परोक्ष शिक्षा- परोक्ष शिक्षा में अध्यापक के व्यक्तित्व का प्रत्यक्ष (सीधा) प्रभाव बालक पर नहीं पड़ता। वह परोक्ष साधनों द्वारा प्रभावित होता है। इस शिक्षा का कोई उद्देश्य या योजना पहले से तय नहीं होती। इसके अन्तर्गत शिक्षा कार्यक्रमों के विषय में अधिकांश निर्देश परोक्ष रूप में दिए जाते हैं तथा बालक स्वतन्त्र वातावरण में परोक्ष साधनों द्वारा इच्छानुसार शिक्षा ग्रहण करता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से परोक्ष शिक्षा को उत्तम माना जाता है।