सकारात्मक या निश्चयात्मक शिक्षा को उद्देश्य बालक को कुछ निश्चित तथ्यों, आदर्शों तथा मूल्यों (जैसे—सूर्य पूरब दिशा से निकलता है, पत्तियों का रंग हरा होता है, सदा सत्य बोलना चाहिए, निर्धनों की सहायता करनी चाहिए आदि) का ज्ञानं प्रदान करना है। यहाँ ज्ञान के हस्तान्तरण में शिक्षक की भूमिका प्रधान है। शिक्षा के इस स्वरूप के अन्तर्गत बालक बिना किसी तर्क-वितर्क के ही ज्ञान को स्वीकार कर लेता है। सकारात्मक शिक्षा को आदर्शवादी विचारधारा को समर्थन प्राप्त है।