शिक्षा के जीवन की पूर्णता के उद्देश्य’ के पक्ष में तर्क
(Arguments in Favour of Aims of Completion in Education Life)
शिक्षा के जीवन की पूर्णता के उद्देश्य के पक्ष में मुख्य रूप से निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए गए हैं–
⦁ सर्वांगीण एवं व्यापक उद्देश्य- जीवन की पूर्णता का उद्देश्य स्वयं में जीवन के सभी पक्षों को समाहित किए हुए है। यह एकांगी व संकीर्ण न होकर सर्वांगीण व्यापक उद्देश्य है तथा हर प्रकार से श्रेष्ठ है।
⦁ समूचे व्यक्तित्व का विकास- इस उद्देश्य के अन्तर्गत मानव व्यक्तित्व के सभी पक्षों का विकास निहित है।
⦁ हर परिस्थिति के लिए उपयुक्त-मनुष्य को जीवन में अनेक प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं। यह उद्देश्य उसे हर परिस्थिति में जीने के लिए तैयार करता है तथा सभी कार्यों हेतु उपयुक्त बनाता है। स्वयं स्पेन्सर ने लिखा है, “जिस प्रकार एक घोड़ा अपनी आदतों, माँग, शक्ति और गति के अनुसार कभी गाड़ी खींचने के लिए और कभी दौड़ में दौड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार मानव-शक्तियों को सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार पूर्ण रूप से उपयोगी बनाया जाना चाहिए।’
⦁ प्राथमिक आवश्यकताओं पर बल-जीवन की पूर्णता का उद्देश्य मानव-जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर बल देता है। इस विषय में ग्रीब्ज़ कहते हैं, “हरबर्ट स्पेन्सर विज्ञानों और जीवन की एक नई योजना की सिफारिश करती है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति सम्बन्धित मूल्यों के अनुसार सब प्रकार के लाभों का आनन्द लेता है।”
⦁ मूल्यवान् तत्त्वों पर ध्यान इस उद्देश्य से प्रेरित शिक्षा-पद्धति में वैज्ञानिकता, उपयोगिता तथा सामाजिकता आदि सभी मूल्यवान् तत्त्वों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है।
⦁ जीवनोपयोगी विषयों का समावेश- इस उद्देश्य के अन्तर्गत मानव-जीवन के लिए उपयोगी प्रायः सभी विषयों; जैसे—साहित्य, सामाजिक शास्त्र, मनोविज्ञान, गृहशास्त्र, विज्ञान तथा कलाओं का समावेश किया गया है।
⦁ सभी उद्देश्यों की पूर्ति- जीवन की पूर्णता का उद्देश्य शिक्षा के अन्य सभी उद्देश्यों की पूर्ति कर देता है। उद्देश्य के समर्थन में शेरवुड ऐंडरसन ने लिखा है, “व्यक्ति को जीवन की विभिन्न समस्याओं के लिए तैयार करना शिक्षा का पूर्ण उद्देश्य है या होना चाहिए।”