वायुमण्डल की चौथी परत को आयनमण्डल कहते हैं। आयनमण्डल ओजोनमण्डल के ऊपर स्थित है। इसका विस्तार 80-640 किमी तक विस्तृत है। वैज्ञानिकों को इस मण्डल के सन्दर्भ में अधिकाधिक जानकारी प्राप्त हो रही है। आयनमंण्डल का आभास सर्वप्रथम रेडियो तरंगों द्वारा ज्ञात हुआ था। ध्वनि तरंगों एवं स्पूतनिकों (Rockets) द्वारा इसके सम्बन्ध में और अधिक जानकारी प्राप्त हुई है। इस स्तर पर वायुमण्डल का आयनन आरम्भ हो जाता है। ओजोनमण्डल की समाप्ति पर तापमान पुनः ऊपर की ओर नीचे गिरने लगता है तथा 80 किमी की ऊँचाई पर घटकर -100° सेल्सियस के समीप पहुँच जाता है। इसके बाद एक बार फिर तापमान बढ़ने लगता है क्योंकि वहाँ लघु तरंगी सौर विकिरण को अवशोषण ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के परमाणुओं पर पराबैंगनी फोटोन्स की प्रतिक्रिया होने से ताप 1000° सेल्सियस तक बढ़ जाता है। आयनमण्डल रेडियो तरंगों को पृथ्वी की ओर लौटा देता है। अनेक वैज्ञानिक रेडियो एवं ध्वनि तरंगों के माध्यम से इस परत के अन्वेषण में लगे हुए हैं। पृथ्वी पर संचार साधनों का संचालन इसी परत के द्वारा सम्भव होता है। इस दृष्टि से यह मण्डल मानव के लिए विशेष उपयोगी है।