जलवाष्प एवं धूलकण वायुमण्डल के महत्त्वपूर्ण संघटक हैं। ये मौसम तथा जलवायु के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। धूलकण प्रत्येक प्रकार के संघनन के लिए उत्तरदायी होते हैं। ये आर्द्रताग्राही होते हैं, इनके द्वारा ही वायुमण्डल में कुहारा, मेघ आदि बनते हैं और वर्षा की परिस्थिति उत्पन्न होती है। जलवाष्प वायुमण्डल के तापमान और वर्षा को प्रभावित करती है। जलवाष्प की उपस्थिति वायुमण्डल में वाष्पीकरण क्रिया द्वारा निर्धारित होती है। इसकी मात्रा सभी स्थानों पर समान नहीं होती है। भूमध्य रेखा के निकट सर्वाधिक एवं ध्रुवों पर सबसे कम जलवाष्प पाई जाती है। वायुमण्डल में घटित होने वाली सभी घटनाएँ मेघ, तुषार, हिमपात, ओस, पाला, झंझावात, चक्रवात आदि जलवाष्प पर आधारित होती हैं।