डेंगू एक संक्रामक रोग है जो मादा एडीज (Female Aedes) मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर प्रायः दिन में ही सक्रिय होता है तथा मनुष्यों को काटता है। डेंगू का अधिक प्रकोप कुछ वर्षों से अधिक हुआ है। हर वर्ष अनेक व्यक्ति इसके शिकार होते हैं। समुचित उपचार न होने की दशा में यह रोग घातक भी सिद्ध होता है। यह रोग उस समय अधिक गम्भीर हो जाता है, जब रोगी के रक्त के प्लेटलेट्स तेजी से घटने लगते हैं।
डेंगू के लक्षण-डेंगू के लक्षण निम्नलिखित हैं
⦁ इस रोग में तेज बुखार होता है।
⦁ रोगी को सिरदर्द, कमरदर्द तथा जोड़ों में दर्द होता है।
⦁ हल्की खाँसी तथा गले में खरास की भी शिकायत होती है।
⦁ रोगी को काफी थकावट तथा कमजोरी महसूस होती है।
⦁ रोग के बढ़ने के साथ-साथ उल्टियाँ होती हैं तथा शरीर पर लाल-लाल दाने निकल आते हैं।
⦁ इस रोग में रोगी की नाड़ी कभी तेज तथा कभी धीमी चलने लगती है तथा प्रायः रक्तचाप भी बहुत घट जाता है।
⦁ डेंगू शॉक सिंड्रोम (D.S.S.) के रोगियों में साधारण डेंगू बुखार तथा डेंगू हेमोरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ-साथ बेचैनी महसूस होती है।
⦁ डेंगू हेमोरेजिक बुखार में अन्य लक्षणों के साथ-ही-साथ रक्त में प्लेटलेट्स की अत्यधिक कमी होने लगती है। इस स्थिति में शरीर में कहीं से भी रक्तस्राव होने लगता है। यह रक्तस्राव दाँतों, मसूड़ों से भी हो सकता है तथा नाक, मुँह या मल से भी हो सकता है।
डेंगू की गम्भीरता:
डेंगू रोग उस समय गम्भीर रूप ग्रहण कर लेता है जब व्यक्ति के प्लेटलेट्स तेजी से घटने लगते हैं। सामान्य रूप से एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। यदि ये एक लाख से कम हो जाये तो रोगी को हॉस्पिटल में भर्ती करवाना आवश्यक हो जाता है, क्योंकि इस स्थिति में प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है। यदि प्लेटलेट्स और घट जाते हैं तो रोगी के शरीर से रक्तस्राव होने लगता है। ऐसे में शरीर के विभिन्न मुख्य अंगों के फेल (Multi-organ Failure) होने की भी आशंका रहती है।
डेंगू से बचने के उपाय:
डेंगू से बचने के लिए आवश्यक है कि मच्छरों से बचाव किया जाये। इसके लिए एक उपाय है कि मच्छरों को पनपने न दिया जाये। डेंगू फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में पनपते हैं अतः घरों के अन्दर तथा आस-पास कहीं भी साफ पानी एकत्र न होने दें। पानी के बर्तनों को ढककर रखना चाहिए। फूलदानों आदि का पानी प्रतिदिन बदलते रहें। कूलर, पानी की हौदियों, टायर-ट्यूब, टूटे बर्तन, मटके, डिब्बे आदि में पानी एकत्र न होने दें। पक्षियों के खाने-पीने के बर्तनों को भी साफ करते रहें। मच्छरों की रोकथाम के साथ-ही-साथ स्वयं को मच्छरों से बचायें। इसके लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें तथा मच्छरों को दूर रखने के लिए क्रीम या तेल का इस्तेमाल करें।