वायरस से संक्रमित होने वाला एक गम्भीर संक्रामक रोग इन्सेफेलाइटिस या जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) भी है। इसे दिमागी बुखार या मस्तिष्कीय ज्वर भी कहा जाता है। इस रोग के वायरस का संक्रमण एक विशेष प्रकार के मच्छर या सूअर के माध्यम से होता है। सूअर को ही इस रोग का मुख्य वाहक माना जाता है।
यह रोग मुख्य रूप से छोटे बच्चों (1 से 14 वर्ष) तथा 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को हुआ करता है। हमारे देश के 19 राज्यों के 171 जिलों में इस रोग का अधिक प्रकोप रहता है। इस रोग से हर वर्ष अनेक बच्चों एवं बड़े व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है। इस रोग का प्रकोप अगस्त, सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में अधिक होता है।
इन्सेफेलाइटिस रोग के मुख्य लक्षण: इन्सेफेलाइटिस या दिमागी बुखार के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं
⦁ रोगी अतिसंवेदनशील हो जाता है।
⦁ रोगी को दुर्बलता महसूस होती है तथा उल्टियाँ भी होती हैं।
⦁ यदि छोटे बच्चे को यह रोग होता है तो वह निरन्तर रोता है।
⦁ तेज ज्वर होता है तथा सिरदर्द होता है। रोग के बढ़ने के साथ-ही-साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होती है।
⦁ रोगी की गर्दन अकड़ जाती है।
⦁ व्यक्ति को भूख कम लगती है।
⦁ रोगी को लकवा मार जाता है। स्थिति बिगड़ने पर व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।
बचाव के उपाय:
⦁ सही समय पर रोग से बचाव के लिए टीकाकरण कराएँ।
⦁ हर प्रकार की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
⦁ गन्दे पानी के सम्पर्क में आने से बचना आवश्यक है।
⦁ मच्छरों से बचाव के हर सम्भव उपाय करने चाहिए।
⦁ घरों के आस-पास पानी न जमा होने दें। वर्षा ऋतु में इसका विशेष ध्यान रखना आवश्यक
⦁ बच्चों को अच्छा पौष्टिक आहार दें।
उपचार: इन्सेफेलाइटिस रोग का कोई भी लक्षण दिखाई देते ही तुरन्त योग्य चिकित्सक से सम्पर्क करें तथा व्यवस्थित उपचार आरम्भ कर दें।