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सोहत ओढ़ पीतु पटु, स्याम सलौने गात ।
मनौ नीलमनि-सैल पर, आतपु पर्यो प्रभात ॥

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[ सोहत = सुशोभित हो रहे हैं। पीतु पटु = पीले वस्त्र। सलौने = सुन्दर। गात = शरीर। नीलमनिसैल = नीलमणि पर्वत। आतपु = प्रकाश।]

प्रसंग-इस दोहे में पीला वस्त्र ओढ़े हुए श्रीकृष्ण के सौन्दर्य का  वर्णन किया गया है। |

व्याख्या-श्रीकृष्ण का श्याम शरीर अत्यन्त सुन्दर है। वे अपने शरीर पर पीले वस्त्र पहने इस प्रकार शोभा पा रहे हैं, मानो नीलमणि के पर्वत पर प्रात:काल की पीली-पीली धूप पड़ रही हो। यहाँ श्रीकृष्ण के श्याम वर्ण के उज्ज्वल मुख में नीलमणि शैल की और उनके पीले वस्त्रों में प्रात:कालीन.धूप की सम्भावना की गयी है।

काव्यगत सौन्दर्य-

⦁    श्रीकृष्ण के श्याम शरीर पर पीले वस्त्रों के सौन्दर्य का अद्भुत वर्णन है।
⦁    भाषा–ब्रज।
⦁    शैली-मुक्तक
⦁    रस-श्रृंगार और भक्ति।
⦁    छन्द-दोहा
⦁    अलंकार‘पीतु पटु’, ‘स्याम सलौने’, ‘पयौ प्रभात’ में अनुप्रास तथा ‘मनौ नीलमनि-सैल पर, आतपु पर्यौ प्रभात’ में उत्प्रेक्षा की छटा।
⦁    गुण-माधुर्य।

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