कोयले का उपयोग या महत्त्व
कोयला शक्ति का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन तथा ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। इसका उत्पादन एवं उपयोग किसी देश की प्रगति का सूचक माना जाता है। यह अपनी तीन विशेषताओं; यथा—भाप बनाने, ताप प्रदान करने तथा कठोर धातुओं के पिघलाने के कारण वर्तमान औद्योगिक सभ्यता का आधार-स्तम्भ बन गया है। कोयले से प्राप्त शक्ति खनिज तेल से प्राप्त की गयी शक्ति से दोगुनी, प्राकृतिक गैस से पाँच गुनी तथा जल-विद्युत शक्ति से आठ गुना अधिक होती है। इससे स्टीम कोक अर्थात् ताप ऊर्जा प्राप्त की जाती है। भारत के कोयला उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई भाग उद्योग-धन्धों व विद्युत उत्पादन, एक-चौथाई रेलों के संचालन व अन्य कार्यों में प्रयुक्त किया जाता है। कोयले के इस महत्त्व को देखते हुए इसे ‘काला हीरा’ के नाम से पुकारा जाता है।
संचित मात्रा- कोयले के भण्डारों की दृष्टि से भारत का विश्व में छठा स्थान है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने कोयले की संचित राशि 250 अरब टन ऑकी है। लिग्नाइट का भण्डार 24 अरब टन अनुमानित किया गया है। सम्पूर्ण कोयला भण्डारों का 78.3% भाग दामोदर घाटी में स्थित है।
उत्पादन एवं वितरण
भारत में निम्नलिखित दो क्षेत्र कोयले के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं
(1) गोण्डवाना कोयला क्षेत्र- भारत में कुल 113 कोयला क्षेत्र हैं, जिनमें से 80 कोयला क्षेत्र गोण्डवाना काल की शैलों से सम्बन्धित हैं। इन शैलों में 96% कोयला संचित है तथा 98% उत्पादन इन्हीं से प्राप्त होता है। इसका क्षेत्रफल 90,650 वर्ग किमी है। कोयला उत्पादन में निम्नलिखित क्षेत्र प्रमुख हैं
- गोदावरी घाटी क्षेत्र- आन्ध्र प्रदेश का कोयला उत्पादन में चौथा स्थान है, जहाँ देश का 10% कोयला निकाला जाता है। यहाँ गोदावरी नदी की घाटी में सिंगरेनी, तन्दूर तथा सस्ती नामक खदानों से कोयला निकाला जाता है। अदिलाबाद, पश्चिमी गोदावरी, करीम नगर, खम्माम एवं वारंगल प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं।
- महानदी घाटी क्षेत्र- इस कोयला क्षेत्र का विस्तार ओडिशा राज्य में है। वेंकानाल, सुन्दरगढ़ एवं सम्भलपुर प्रमुख कोयला उत्पादक जिले हैं।
- उत्तरी दामोदर घाटी क्षेत्र- यह झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में विस्तृत है। यहाँ राजमहल की पहाड़ियों में सबसे अधिक कोयले के भण्डार पाये जाते हैं।
- दामोदर घाटी क्षेत्र- यह देश का सबसे विशाल कोयला क्षेत्र है। इसका विस्तार झारखण्ड एवं पश्चिमी बंगाल राज्यों तक है।
- झारखण्ड- भारत के लगभग 36% कोयले का उत्पादन करके यह राज्य देश में प्रथम स्थान प्राप्त किये हुए है। यहाँ झरिया, बोकारो, राजमहल, उत्तरी-दक्षिणी कर्णपुरा, डाल्टनगंज तथा गिरिडीह जैसी प्रमुख कोयले की खदानें हैं। झरिया यहाँ की सबसे बड़ी खान है, जो 436 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
- पश्चिम बंगाल- पश्चिम बंगाल देश का 13% कोयला उत्पन्न कर तीसरे स्थान पर है।यहाँ पर रानीगंज कोयले की प्रमुख खान है, जो 1,536 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
- छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश – इस क्षेत्र का कोयला उत्पादन में दूसरा स्थान है। छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश राज्यों से संयुक्त रूप से 28% कोयला निकाला जाता है। यहाँ पेंच घाटी, सोहागपुर, उमरिया, सिंगरौली, रामगढ़, रामकोला, तातापानी, कोरबा तथा बिलासपुर में कोयले की खाने हैं।
- सोन एवं उसकी सहायक नदी- घाटियों का क्षेत्र मध्य प्रदेश राज्य में इस कोयला क्षेत्र का विस्तार है। यह क्षेत्र उमरिया, सोहागपुर एवं सिंगरौली में विस्तृत है।
- सतपुड़ा कोयला क्षेत्र- सतपुड़ा कोयला क्षेत्र का विस्तार मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों में है। नरसिंहपुर जिले में मोहपानी, कान्हन घाटी, पेंच घाटी तथा बैतूल जिले में पाथरखेड़ा क्षेत्र उल्लेखनीय हैं।
- गोदावरी-वर्धा घाटी क्षेत्र- इस क्षेत्र के अन्तर्गत महाराष्ट्र में चन्द्रपुर, बलारपुर, बरोरा, यवतमाल, नागपुर आदि जिले तथा आन्ध्र प्रदेश के सिंगरेनी, सस्ती एवं तन्दूर क्षेत्र सम्मिलित हैं। देश के 3% भण्डार यहाँ सुरक्षित हैं।
(2) टर्शियरी कोयला क्षेत्र
यह कोयला प्रायद्वीप के बाह्य भागों में पाया जाता है। सम्पूर्ण भारत का 2% कोयला टर्शियरी काल की चट्टानों से प्राप्त होता है। यह लिग्नाइट प्रकार का है, जिसमें कार्बन की मात्रा 30 से 50% तक पायी जाती है। इसका उपयोग ताप-विद्युत, कृत्रिम तेल तथा ब्रिकेट बनाने में किया जाता है। देश में इस कोयले के 23.1 करोड़ टन के सुरक्षित भण्डार अनुमानित किये गये हैं। इसके प्रमुख उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित हैं
- राजस्थान- राजस्थान में कोयला बीकानेर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किमी की दूरी पर पालना नामक स्थान और उसके आस-पास के क्षेत्र मढ़, चनेरी, गंगा-सरोवर एवं खारी क्षेत्रों में मिलता है।
- असोम- यहाँ पर कोयला पूर्वी नागा पर्वत के उत्तर-पश्चिमी ढाल पर लखीमपुर तथा शिवसागर जिलों में पाया जाता है। यहाँ माकूम सबसे बड़ा कोयला उत्पादक क्षेत्र है।
- मेघालय- मेघालय में मिकिर की पहाड़ियों में 1 से 2 मीटर मोटी परत वाला हल्की श्रेणी का कोयला पाया जाता है। यहाँ पर गारो, खासी एवं जयन्तिया पहाड़ियों में कोयला मिलता है।
- जम्मू-कश्मीर- दक्षिण-पश्चिमी कश्मीर में करेवा चट्टानों में कोयला मिलता है, जो घटिया किस्म का होता है।