- बात जाती रहना- (बात का महत्त्व न होना)
राम ने दिनेश को इतना अधिक प्रलोभन दिया फिर भी उसकी बात जाती रही।
- बात जमना – (ठीक तरह से बात समझ में आना)
मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से समझाया, जिससे बात जम गयी लगती है।
- बात बिगड़ना – (बात न बनना)
मोहन को मैंने बार-बार समझाया था फिर भी बात बिगड़ गयी।
- बात का बतंगड़ बनाना – (बातों में उलझाना)
उसने बात का ऐसा बतंगड़ बनाया कि उसके समझ में नहीं आया।
- बात उखड़ना – (बात न बनना)
उसके लाख समझाने पर भी बात उखड़ गयी।
- बात की बात – (प्रसंगवश किसी बात का जिक्र होना)
मैं उसके साथ किये गये कार्यों का वर्णन नहीं कर रहा हूँ, यह तो बात की बात है।