रहीम कवि बताते हैं कि सच्चे मित्र की परीक्षा विपत्ति के समय में होती है। अच्छे दिनों में तो बहुत-से लोग मित्र बन जाते हैं परन्तु सच्चा मित्र वही होता है जिसे विपत्ति की कसौटी पर कस लिया जाय। झूठे मित्र विपत्ति में पास नहीं आते, किन्तु सच्चा मित्र वही होता है जो विपत्ति में भी मित्र की सहायता करता है। झूठा मित्र तो जल के समान होता है। मछली जाल में फंस जाती है तो जल मछली को छोड़कर आगे बह जाता है उसे मछली पर तरस नहीं आता। वह झूठा मित्र है। दूसरी ओर मछली है। जो जल से बिछुड़कर उसके वियोग में अपने प्राण तक दे देती है। सच्चा मित्र मछली के समान होता है।