चराई-कर का चरवाहा समुदाय पर प्रभाव-भारत में अंग्रेज सरकार ने 19वीं शताब्दी के मध्य अपनी आय बढ़ाने के लिए अनेक नए कर लगाए। इन्हीं में से एक चराई-कर था, जो पशुओं पर लगाया गया था। यह कर प्रति पशु पर लिया जाता था। कर वसूली के तरीकों में परिवर्तन के साथ-साथ यह कर निरंतर बढ़ता गया। पहले तो यह कर सरकार स्वयं वसूल करती थी परंतु बाद में यह काम ठेकेदारों को सौंप दिया गया। ठेकेदार बहुत अधिक कर वसूल करते थे और सरकार को एक निश्चित कर ही देते थे। फलस्वरूप खानाबदोशों का शोषण होने लगा। अतः बाध्य होकर उन्हें अपने पशुओं की संख्या कम करनी पड़ी। फलस्वरूप खानाबदोशों के लिए रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई।
इस प्रकार औपनिवेशिक सरकार द्वारा लागू किए गए इन विभिन्न नियमों ने चरवाहा समुदायों के जीवन को और अधिक कष्टपूर्ण बना दिया।