ग्रामीण गरीब की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
गंभीर ऋणग्रस्तता–एक ग्रामीण गरीब के पास सीमित साधन होते हैं। उसकी आय उसके परिवार की आधारभूत आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने में अपर्याप्त होती है। इस प्रकार वह ऊँची ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करने के लिए मजबूर होता है।
बाल श्रम–बच्चों को अपने माता-पिता की कम आय में सहायता करने की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्हें ग्रामीण फैक्ट्रियों या ढाबों में श्रमिक के रूप में कार्य करना पड़ता है।
ईंधन के रूप में गोबर एवं लकड़ी का उपयोग करना-गंभीर गरीबी के कारण ग्रामीण लोग अपना खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में गोबर एवं लकड़ी का उपयोग करते हैं। वह ईंधन के रूप में कोयला, मिट्टी का तेल, बिजली एवं गैस के खर्चे को सहन नहीं कर सकते।
भूमिहीन–ग्रामीण गरीबों के पास अपनी भूमि नहीं होती। यदि कोई भूमि का टुकड़ा होता है तो यह बहुत छोटा टुकड़ा होता है जो उसके परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं कर सकता।
कृषि श्रमिक–अपर्याप्त एवं भूमि के टुकड़े का नहीं होना ग्रामीण व्यक्ति को कार्य से वंचित रखता है। इस प्रकारउन्हें कृषि श्रमिक के रूप में साहूकारों के पास कार्य करना पड़ता है और वह स्वयं को शोषण के लिए उन्हें समर्पित कर देते हैं। अधिकांश कार्य मौसमी एवं अस्थायी होते हैं एवं परेशानियाँ जारी रहती हैं।
कच्ची घर-ग्रामीण मज़दूरों का घर कच्चा होता है, जहाँ दीवारें मिट्टी की एवं छत सामान्य तौर पर घास-फूस एवं लकड़ियों से बनी होती है। यह घर तेज हवा, वर्षा एवं ठंड का सामना करने में असमर्थ होते हैं। शहरी गरीबी के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं
⦁ बुरा स्वास्थ्य-गरीबी, भुखमरी, ऋणग्रस्तता एवं मानसिक परेशानी को पैदा करती है जो बुरे स्वास्थ्य को बढ़ावा | देती है और जो कार्य की हानि करके गरीबी में दोबारा योगदान देती है।
⦁ अस्वच्छता एवं बिजली की अनुपलब्धता-सफाई सुविधाओं का झुग्गी-झोंपड़ी के क्षेत्रों में अभाव है। सामान्य तौर पर बिजली उपलब्ध नहीं है। अस्वच्छता गंभीर बीमारियों एवं बुरे स्वास्थ्य का कारण होती है।
⦁ स्वच्छ पीने के पानी की अनुपलब्धता-यह बहुत दुख की बात है कि इन असहाय एवं दुर्भाग्य लोगों को पीने को स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं है।
⦁ झुग्गी-झोंपड़ी के निवासी-शहरी गरीब आवासीय क्षेत्रों में घर का प्रबन्ध नहीं कर सकते। इसलिए वह अपने घर शहर के किनारे एवं झुग्गी-झोंपड़ी के क्षेत्रों में बनाते हैं जो गंदे, अस्वच्छ कीचड़ एवं कूड़ा करकट वाले होते | हैं और मानवीय निवास के लिए अनुपयुक्त हैं।
⦁ निरक्षरता-गरीबी एवं निरक्षरता दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। गरीबी, निरक्षरता को बढ़ाती है और निरक्षरता गरीबी को सामान्य तौर पर गरीब बच्चों को अपने माता-पिता की कम आय में सहायता के लिए कार्य करना पड़ता है। स्कूल जाने के लिए उनके पास समय एवं पैसा नहीं होता।
⦁ अनिरन्तर रोज़गार-शहरी गरीबों के पास सामान्य तौर पर निरन्तर कार्य नहीं होता। कुछ समय वह कार्यरत होते हैं और वर्ष के कई महीने तक वह बेरोज़गार होते हैं। वह मौसमी एवं वार्षिक बेरोज़गारी के शिकार होते हैं। जो उनके जीवन को कठिन बनाती है।