भारत में सरकार ने स्वतन्त्रता के पश्चात् खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनने का यथासम्भव प्रयास किया है। भारत में कृषि क्षेत्र में एक नयी रणनीति अपनायी गयी, जैसे-हरित क्रान्ति के कारण गेहूँ उत्पादन में वृद्धि हुई। गेहूँ की सफलता के बाद चावल के क्षेत्र में इस सफलता की पुनरावृत्ति हुई। पंजाब और हरियाणा में सर्वाधिक वृद्धि दर दर्ज की गयी, जहाँ अनाजों का उत्पादन 1964-65 के 72.3 लाख टन की तुलना में बढ़कर 1995-96 में 3.03 करोड़ टन पर पहुँच गया, जो अब तक का सर्वाधिक ऊँचा रिकार्ड था। दूसरी तरफ, तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। अतः हरित क्रान्ति ने भारत को काफी हद तक खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है।