द्वितीय (II) विश्व युद्ध के दौरान अनाज की कमी को पूरा करने के लिए इसे प्रारम्भ किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध से अनाज प्रबंध निरंतर उसी एवं अन्य रूप में चल रहा है।
अनाज प्रबंध के आवश्यक तत्त्व निम्नलिखित हैं-
(क) सार्वजनिक वितरण प्रणाली का रख-रखाव।
(ख) अनाज के अतिरिक्त भंडार का रख-रखाव।
(ग) सरकारी एजेंसी द्वारा बाजार में उपलब्ध अतिरिक्त खाद्यान्नों की सार्वजनिक वितरण के रूप में प्राप्ति करना एवं उसका भंडार बनाना।
(घ) अनाज के प्रबंध में आवश्यक एवं न्यायोचित प्रतिबन्ध लगाना।
(ङ) निजी व्यापार का नियमन जिससे खाद्यान्नों की जमाखोरी एवं उनमें सट्टेबाज़ी रोकी जा सकें।
(च) जब कभी आवश्यक हो, तो घरेलू उत्पादन की सहायता के लिए विदेशों से खाद्यान्न का आयात करना।