(क) आश्रम व्यवस्था – प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को व्यवस्थित करने के लिए आर्यों ने जीवन को चार अवस्थाओं में बाँट दिया था – ब्रह्मचर्य,गृहस्थ,वानप्रस्थ,संन्यास
(ख) सभा एवं समिति – राजा पर नियंत्रण रखने के लिए सभा और समिति नामक संस्थाएं थीं। जिसमें 70-80 लोग मिलकर समस्याओं को सुलझाते थे।
(ग) आर्यावर्त – हिमालय से विन्ध्याचल पर्वत तक का क्षेत्र आर्यावर्त कहलाता है।
(घ) राजा के कर्तव्य – राजा का प्रमुख कार्य लोगों की रक्षा करना तथा युद्ध में सेना का नेतृत्व करना था।