चन्द्रशेखर आज़ाद जीवन की पवित्रता, सामाजिक निर्मलता, वैयक्तिक उज्जवलता और नैतिक उच्चता के बड़े पोषक थे। उनमें भय बिलकुल न था। अपने को आश्रय देनेवाले को वे निश्चिन्त रखते थे। कठोर और हिंसापूर्ण कार्यों के बावजूद उनका मन मक्खन के समान कोमल था। वे जो करते थे, बेहिचक करते थे। कार्यभीरुता, कोरा बुद्धिवाद और पलायनवाद जैसे शब्द उनके शब्दकोष में नहीं थे।