लेखक के चाचा ने खेती को जाहिलों का पेशा बताया था। तब लेखक ने उनसे कहा कि यह जाहिलों का पेशा नहीं है। बड़े-बड़े लोगों ने खेती की प्रशंसा की है। कार्लाइल ने इस पर लेख लिखे हैं। टालस्टाय तो स्वयं किसान ही बन गए थे। कवि वाल्टेयर खुद बागवानी करता था। ग्लैडस्टन लकड़ी चीरता था। अपने देश में भी गौतम ऋषि गेहूँ की खेती करते थे। इसलिए खेती को उत्तम व्यवसाय मानना चाहिए। इस प्रकार खेती का महत्त्व बताने के लिए लेखक ने खेती करनेवाले कई महापुरुषों के उदाहरण दिए।