कवि अपने घर से बहुत दूर जेल में कैद है। उसे घर से दूर रहने की पीड़ा है । बरसात का मौसम है। पानी बरस रहा है । बहुत पानी बरस रहा है । रातभर बारिश होती रही है । रातभर कवि का मन घर की यादों से घिर जाता है। रातभर लगातार बरसात होने से एक दर्दनाक खामोशी चारों तरफ घिर गई है।
धनघोर बरसात, दूर छूटे हुए घर की याद से कवि एक अजीब प्रकार का अकेलापन महसूस करता है। जैसे-जैसे पानी गिर रहा है, वैसे-वैसे कवि के हृदय में प्रियजनों की स्मृतियाँ चलचित्र की तरह उभरती जा रही हैं। पानी के बरसने के कारण ही उसके प्राण व मन घर की याद में व्याकुल हो जाते हैं।