कश्मीर में सुबह बहुत सुहानी होती है। सन-सन करती हुई शीतल हवा चलती है। शालीमार बाग सैलानियों से भरा रहता है। भौरे गुंजार करते रहते हैं। ऐसे सुहाने वातावरण में सूर्य की किरणें उभरती हुई दिखाई देती हैं। इस समय ऐसा लगता है, मानो झील के किनारे किरण मालिन का रूप धरकर अवतरित हुई हो और वह डलिया में धूप को भरकर ले आई हो। वह उस धूप को बजरौ पर बिखेर रही हो।